मिशन 2022 को लेकर जहां एक ओर योगी आदित्यनाथ व उनका मंत्रिमंडल परेशान है । वहीं प्रदेश में खाकी की गतिविधियां जनविरोधी हो जाने से सरकार निरंतर घिरती जा रही है । पुलिस का प्रदेश में एक के बाद एक कांडों के मुख्य पात्र खाकी ही बन रही है । जिसमें लगातार घिर रही सरकार को उभरने का कोई सहारा नहीं मिल रहा है । जिससे जनता में खाकी के प्रति भय का वातावरण बनता जा रहा है । विपक्ष को निरंतर मुद्दे ही मुद्दे मिलते जा रहे हैं । जिसमें खाकी के प्रति बन रहे भय के वातावरण का मुख्य केंद्र बिंदु पहले कानपुर बना था । अब प्रदेश के जिलों में भी खाकी की उद्दंडता चर्चा का विषय बनी हुई है । जिससे भय का वातावरण बना हुआ है । वाकई में पुलिस की कमान जब से पुलिस महानिदेशक की सीट पर मुकुल गोयल काबिज हुए हैं, तब से बयान से लेकर किसी ना किसी मामले में खाकी लगातार मुखिया बनती नजर आ रही है । ऐसी सूरत में सिर्फ और सिर्फ एक ही प्रदेश के गलियारों में चर्चा है ,कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे तो जनता एतबार किस पर करेगी । जिस पर सीधे-सीधे सरकार पर ही आरोप का मुख्य केंद्र बनी है। मुख्यमंत्री ने कानपुर में आतंकी संगठनों की गतिविधियां होने के चलते यहां पर पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी थी ,ताकि अपराध पर अंकुश लग सकें ।
आगरा में अरुण कुमार जो सफाई कर्मचारी थाने में इसलिए करता था कि उसकी थोड़ी सी हनक इलाके में बनी रहेगी । किंतु वही के वर्दीधारियों ने चोरी के शक में मार मारकर उसे थाने में ही मार डाला ।
जबकि अगर माल खाने से कोई माल चोरी गया था तो उसकी जिम्मेदारी हेड मुहर्रिर पहरा पर होनी चाहिए । उनके साथ थर्ड डिग्री इस्तेमाल होनी चाहिए उनके हाथ बेचारा सात आठ सौ रुपए थाने में साफ़ सफाई के बदले मिलते थे वह पड़ गया । उस पर ही शक करके थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर थाने में हत्या कर दी गई । इससे पूर्व गोरखपुर पुलिस ने कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता को पीट पीट कर मार डाला । जिसकी भरपाई मुख्यमंत्री व सपा मुखिया भले ही मुआवजे के रूप में करने की कोशिश कर चुके हैं । इसी तरह श्याम नगर निवासी ईश्वर चंद्र दीक्षित के आत्मदाह का मुख्य कारण पुलिस की कमी ही मिली थी । उससे पूर्व लखीमपुर खीरी में बेगुनाह किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे की इशारे पर पुलिस का तांडव शर्मसार करने वाला था । इसके पूर्व सेवानिवृत्त क्षेत्र अधिकारी दिनेश त्रिपाठी का कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र में ही किराएदार की नाबालिग पुत्री से कुकृत्य क्या कम शर्मनाक था ।
मानता हूं कि खाकी वर्दी के पीछे जो शरीर होता है वह एक आम इंसान का होता है । दिल भी आम इंसानों का होता है किंतु वर्दी पहनने के बाद जो कठोरता दिलों में पैदा हो रही है ,वह बेहद शर्मिंदगी भरी होती है। थाने चौकियों में हम मानव अधिकारों के बोर्ड दिखाने मात्र के लिए नहीं बल्कि पालन करने के लिए होते है । उच्च अधिकारिय एक और कहते हैं कि ऐसी पुलिसिंग हो जिससे थाने चौकियों में तैनात वर्दीधारियों के पास बेहिचक फरियादी जा सके । किंतु यहां तो उल्टा ही है। वर्दी धारियों के प्रति दहशत का माहौल बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ अपनी पुलिस के कर्मों से सरकारी खजाने से मुआवजा देकर पीड़ित परिवार के आंसुओं को पोछने की जो नाकाम कोशिश कर रहे हैं ,क्या उससे पीड़ित परिवार के घाव भर रहे हैं । यह उनकी गलतफहमी है । आगे आने वाले समय में जनता खुद जवाब देगी । सम्पदिकिया
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