रत्न धारण करने का क्या है वैज्ञानिक आधार
जाने रत्न पहनने का सही तरीका
रत्न पहनने का सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है. आइए जानते हैं रत्न पहनते समय हमे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्यों.
दुनिया की हर वस्तु की एक विशेष तत्त्व, रंग और तरंग की होती है, जो अलग-अलग केन्द्रों से नियंत्रित होती है. उस तत्त्व, रंग और तरंग में असंतुलन पैदा होने पर तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.
ज्योतिष में इस असंतुलन को दूर करने के लिए तमाम मंत्रो तथा ऋचाओं के जप की सलाह दी जाती है. इसके अलावा तत्वों तथा रंग और तरंग के आधार पर रत्न पहनने की सलाह भी दी जाती है. रत्न जीवन पर सीधा प्रभाव डालते हैं. सबसे पहले चक्रों पर, उसके बाद मन पर इन रत्नों का असर पड़ता है.
क्या है रत्नों के पहनने का तरीका? और क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?
- बिना तत्त्व और इसके संतुलन को देखें, केवल राशि और लग्न से रत्न न पहनें.
- एक साथ कई रत्न पहने जा सकते हैं परन्तु वे आपस में विरोधी नहीं होने चाहिए.
- आपस में विरोधी रत्न पहनने से मानसिक पीड़ा के साथ-साथ दुर्घटना भी हो सकती है.
- शनि प्रधान लोग माणिक्य, मूंगा तथा पुखराज पहनने से बचें.
- बृहस्पति प्रधान लोग नीलम, पन्ना और हीरा न पहनें.
- रत्नों को सामन्यतः सोने, चांदी या तांबे में ही पहनें,
जो लोग मांसाहार करते हैं वे तांबा बाएं हाथ में पहनें.
- जिस हाथ से आप काम करते हैं उसी हाथ की अंगुलियों में रत्न धारण करें.
पंडित चन्द्र कान्त शुक्ल
ज्योतिष मार्तण्ड व उपाय विशेषज्ञ
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