भारत माँ के नारों से गूंज रहा हिमालय था
चौक चौराहो पर घूम रहा टोला दीवानो का था।
माँ के आंचल को लपेट सोया सैनिक दीवाना था
देश के लिए बलिदान दिया वो भाई हमारा था।
मौत को डराकर बांधे अपने बाजुओ में जो
रोशन करता नाम एक माँ का नही देश का वो ।
पता नही सैनिक की शहादत पर रोते है
वो तो खुशनसीब है जो माँ के आँचल से लिपटे है।
कौन कहता है सैनिक वीर गति को प्राप्त हुआ
वो तो लाखों में था जो अपनी माँ से मिला।
माना कि हम सभी देश भक्त है
पर वो तो माँ की सेवा में अभी भी मस्त है।
मौत भी रुककर झुककर सोचती होगी
इन वीरो की माँ किस दूध से इन्हें पोसती होगी।
एक ओर धरती एक ओर आसमान होता है
जब शहीद सैनिक का सम्मान होता है।
कभी दिल्ली कभी मुम्बई चाहे पुलवामा कर लो
बस एक बार सीना तान हमारी आंखों में देख लो।
हम समझ लेंगे बहादुर तुम भी हो
दूध और खून का रंग एक हो हो
पता नही क्यों तुम्हारी परवरिश में इतना भेद है
इसलिए ही तुम्हारी देश भक्ति में इतने छेद है।
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