हम सभी ने सुना है हमारे इस जन्म के कर्मो का फल हमे अपने अगले
जन्म में भोगना पड़ता है /
लेकिन क्या ये नियम
सही है या यह बात सही है जब हम आत्मा के साथ शरीर के द्वारा कर्म कर रहे थे तब
चाहे वो कर्र्म अच्छे हो या बुरे उस शरीर के मष्तिष्क में याद में तो वो बात
ankitथी लेकिन आत्मा के शरीर छोड़ जाने के बाद हमारे कर्म हमारी यांदे सभी उस शरीर
( मृत शरीर ) के साथ नष्ट होते ही नष्ट हो जाती है
हम इन बातो को दो कहानियो के द्वारा समझ सकते है /
पहली कहानी में:-
एक अपराधी किस्म का व्यक्ति जिस शहर और क्षेत्र में रहता था
वहा पर और वहा के लोगो के लिए वो एक अपराधी था और उस व्यक्ति से सभी भयभीत थे
परेशां थे लेकिन काफी समय गुजरने के बाद उस व्यक्ति को अपने अपराध का ज्ञान हुआ की
मैं जो भी कुछ कर रहा हु वो गलत है उसका ह्रदय परिवर्तन हो गया Aऔर वो अपराध की दुनिया को
छोड़ कर एक अच्छा इन्सान बन जाता है लेकिन उसके आतंक से डरे हुए लोग अभी भी उसके इस
रूप को कुछ और ही समझ रहे थे और वो उसके पास जाने और उससे बात करने में डरते थे / उसको इस बात से कष्ट हुआ
की यहाँ के लोग तो मुझे अच्छा समझ ही नहीं रहे है तो ऊसने उस शहर को छोड़ दिया और
दुसरे शहर में जाकर अपनी नई आदतों के साथ लोगो के बीच में रहने लगा और उस शहर के
लोग उससे अत्यंत प्रेम करने लगे कोई भी दुःख मुसीबत होने पर वो उस व्यक्ति से ही
मदद मांगने जाते उसको भी लोगो की सेवा करने में मज़ा आने लगा और वो अपने पुराने दिन भूल गया और अपनी नई दुनिया में खुश होकर जी रहा था / लेकिन तभी एक छोटे से
हादसे में उसके दोनों पैर कट जाते है उस शहर के लोग इतनी अच्छे और व्यवहारिक व्यक्ति के साथ हुए ऐसे हादसे को सुनकर काप
जाते है और ईश्वर से कहते है की आपने ये क्या किया इतने मिलनसार व्यक्ति और सबकी
मदद करने वाले व्यक्ति के पैरो को ही छीन लिया क्यों /
अभी कुछ साल ही बीते थे की उस व्यक्ति के घर में एक और
हादसा होता है और उसकी पत्नी और बच्चे उस हादसे में जल कर मर जाते है अब तो उस
व्यक्ति को जानने वाले सभी लोग ईश्वर के इस कर्म को बड़ी ही निर्दयता बताने लगे की ईश्वर
आप इस इन्सान से चाहते क्या हो इसने एसा क्या किया जो आप इतनी सजा दे रहे हो दूसरी और वो व्यक्ति रोता
हुआ अपने पुराने कर्मो को सोच सोच कर रो रहा था जब वो लोगो को तकलीफ दे कर हसंता था
किसी भी दिन बैगैर किसी को परेशां किये और मार कर उसे नींद न आया करती थी बच्चे हो
या बडे सभी के लिए उसके मन में दया नाम की चीज़ न थी सब रोते थे और वो हसता था / लेकिन आज वो रो रहा है और
वो ईश्वर शायद हस रहा होगा क्योंकि एक वही है जो उसके पुराने कर्मो को अच्छे से जानता
है बाकि तो सभी सिक्के के अच्छे पहलू को ही देख रहे थे / अगर वो सब भी यहाँ मौजूद
होते जिनको मैने तकलीफ दी थी शायद वो भी आज सुकून पा रहे होते मुझे तकलीफ में देख
कर / अब उस अपराधी को समझ आ गया था की मेरे कर्म ही थे जो मुझे आज इस रास्ते पर ले
आए है जब मै ये समझ पर रहा हु की अपनों से
बिछुड़ना क्या होता है किसी के हाथ या पैर टूटने में क्या तकलीफ होती होगी / ये मेरे ही कर्म है और मैं
ही इनका भोग करूँगा
इस कहानी को बताने का तात्पर्य ये था की इस कहानी से ये समझ
में आता है की हमे हमारे कर्मो का फल इस
जन्म में ही भोगना पड़ता है /
न हम कुछ लेकर आए थे न कुछ लेकर जायेंगे न यांदे न कर्म न
कुछ भी जो यहाँ से लिया वो यहाँ पर ही छोड़ कर चल दिए /
अब दूसरी कहानी को समझते है :-
एक लड़का था जिसका नाम रुदन था रूदन जब तीन साल का था तब ही
उसके माता पिता की मृत्यु हो गई थी और उसका पालन पोषण उसके नाना और नानी
ने शूरू किया नाना और नानी काफी बुडे थे इसलिए पांच साल की उम्र में रुदन के पहुचते ही उनकी भी मृत्यु हो जाती है / अब रुदन के पालन और पोषण
का पूरा जिम्मा रुदन के मामा और मामी पर आ जाता है रुदन के मामा तो उसे अपना बेटा ही मानते थे लेकिन रुदन की मामी उसे एक नौकर से
ज्यादा कुछ न समझती थी बात बात पर उसे ताने देना की
बचपन में अपने मम्मी पापा को खा गया और बडे होते ही अपने नाना और नानी को क्या अब
हमे जीने देगा की नहीं उस मासूम बच्चे को
इन बातो का अर्थ भी न पता था और मामी का उसको मरना उनके लिए आम बात थी / समय गुजरता गया और मामी की
वजह से रुदन की शिक्षा भी ज्यादा न हो सकी इसलिए उसको एक होटल में काम करने के लिए
उसकी मामी भेजने लगी की बैठे बैठे घर में खाया करता है जा के चार पैसे का कम तो कर / रुदन की किस्मत यहाँ भी ख़राब थी होटल मालिक काम
ज्यादा करवाता और खाना भी कम देता और जरा सी बात पर ही उसको मार देता घर आता तो
मामी अपने घर के काम उससे करवाया करती /
उम्र के साथ रुदन बड़ा हुआ तो मामा और मामी ने उसकी शादी तय
कर दी रुदन को लगा की अब शायद सब ठीक हो जायेगा लेकिन शादी के अभी तीन दिन ही बीते थे की मामी ने रुदन को उसकी पत्नी के
साथ बहार का रास्ता दिखा दिया साथ में जो ऊसको दहेज़ में सामान मिला था और उसने
बचपन से जो भी कुछ इकठ्ठा किया था सब कुछ लेकर उसे घर छोड़ने को कह दिया और मांगने
पर कहा जब तू तीन साल का था तब क्या लेकर आया था ये सब हमारा ही तो है/
रुदन ने नई जगह पर जा कर फिर से एक नई जिंदगी की शुरुआत करने लगा जैसे तैसे उसकी
जिंदगी चल रही थी की उसकी पत्नी ने भी अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए की तुम्हारे साथ
शादी करके मेरे तो कर्म ही फूट गए शादी के तीन दिन बाद ही तुमरे मामा और मामी ने
घर से निकाल दिया जितना कमा कर लाते हो उससे घर तो चलता नहीं मैं कौन से शौक कर
पाऊँगी और रोज़ काम से थक हार कर जब घर आता तो उसे ये तने ही सूनने को मिलते /
एक दिन जब रुदन घर
आता है तो उसे उसके ही घर में घुसने से उसकी पत्नी मना कर देती है की अब तुम्हारा
और हमारा कोई संबंध नहीं रहा मैने किसी और के साथ शादी कर ली है /
आज रुदन फिर उस जगह आकर खड़ा हो गया था जहा से वो चला था तीन
साल की उम्र में जब उसके माँ बाप उसे छोड़ कर उसे इस दुनिया से चले गए थे और आज भी
उसे सब छोड़ कर चले गय है /
वो भगवान के मदिर में बैठा ये ही सोचता जा रहा था की हे भगवान
मुझे आपने किन कर्मो की सजा मिल रही है मैने अपनी पूरी
जिंदगी में किसी को तकलीफ भी नहीं दी किसी का दिल तक नहीं दुखया फिर क्यों इतनी
तकलीफे मेरे हिस्से में आ रही है /
ईश्वर एक तू ही तो है जो मेरे पूरी जिंदगी को देख रहा है
बता मैने कौन सा बुरा कर्म किया जो मुझे ये सजा मिल रही है और रुदन रोता रहता है A
अब पहली कहानी से तो ये पता चला की हमारे द्वारा किये गए कर्म
हमे इस जन्म में ही भोगने पड़ते है/ एक व्यक्ति तकलीफे देता है तो उसे भी तकलीफे मिलती है / इसलिए वो अपने कर्मो का
भोग कर रहा है /
और दूसरी कहानी में
वो व्यक्ति कौन से कर्मो का भोग कर रहा है उसे पता ही नहीं अ लेकिन क्या ये पूर्व जन्म के कर्म हमे दूसरे जीवन में भोगने
पड़ते है ! लेकिन जब ये कहा जा रहा है की जब हम कुछ लेकर आते नहीं और कुछ लेकर जाते
नहीं तो फिर ये कैसे संभव है की हमे पूर्व जन्म के कर्मो का भोग अगले जन्म में
करना पड़ता है / जब की हमे उन कर्मो की याद भी नहीं रह जाती /
कुल मिलाकर ये ठीक वैसा ही है की हमे अपराधी बना कर दंड
दिया जा रहा है जो कर्म हमने किया ही नहीं और कहा ये जा रहा है की ये जो आप ने
अपराध किया था वो आपके पूर्व जन्म का है जब आप ने तीन व्यक्तीयों की हत्या की थी आज से तीस साल पहले
और आपके आते ही ये केस फिर से खुल गया है और उसका दंड भी आपको मिलेगा लेकिन वो
व्यक्ति ये जनता ही नहीं की ये सब जो कह रहे है कहा तक सही है /
जबकि मृत्यु के पश्चात् ही हमरे जीवन से सम्बंधित सभी
दस्तावेज़ बेकार हो जाते है फिर ये कैसे संभव है /
ये एक प्रश्न है जिसका उत्तर देकर मेरी इस खोज में सहयोग
करे /
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