Saturday, January 7, 2012

मौत हु मैं....

मौत हूँ मैं....
मौत आती है तब परेशान होता है कोई ..
मौत आती है तब जब सोता है कोई
मौत आती है जब सामने कोई हंसीना हो
मौत आती है जब सामने कोई रोती बूढी माँ हो ....
मौत हूँ मैं
मौत आती है जब जीना चाहता हूँ मैं
मौत आती है जब खुश होता हूँ मैं
मौत दिखती है तब भ्रष्टाचारियो से मिलता हूँ जब
मौत दिखती है तब झूठा आश्वासन मिलता है शहीदों को तब
मौत हूँ मैं
मौत जाती है कब जब जमाने से लड़ता हूँ मैं
मौत जाती है कब जब अपने कर्मो को देखता हूँ मैं
मौत जाती है कब तब जब ईमानदारो से मिलता हूँ मैं
मौत जाती है कब जब सैनिक मर मिटते है देश प्रेम में
मौत हूँ मैं '
मौत डरती है तब जब हौसले बुलंद होते है तब
मौत डरती है तब जब "आशीष " माता पिता का होता है तब
मौत डरती है तब जब रोते हुये गरीब को हँसाते है तब
मौत डरती है तब जब फ़रिश्ते ज़मीन पर आते है तब
मौत हूँ मैं...मौत हूँ मैं .. मौत हूँ ..

Posted By KanpurpatrikaSaturday, January 07, 2012

Wednesday, January 4, 2012

ये जिंदगी है

ये जिंदगी है मेरी
ये जिंदगी है कुछ नमकीन कुछ मीठी
कुछ टशन से भरी कुछ मगन से भरी
ये जिंदगी है मेरी जज्बातों से भरी
अरमानो से सजी मुसीबतों से थकी
कभी फूलो से महकती
कभी सपनो से बहलती
ये जिंदगी है मेरी
जब हुआ जमाने से परेशान
तो थी साली जिंदगी
जब हारा तो थी चिढाती जिंदगी
जब हु जीतता तो मुस्कराती जिंदगी
ये जिंदगी है मेरी
जिंदगी जिन्दादिली का नाम है
या मुर्दों से बेईमान है ये जिंदगी
रोते हुओ को हसाती जिंदगी
हँसते हुओ को रुलाती जिंदगी
ये जिंदगी है मेरी ये जिंदगी है मेरी
आशीष त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaWednesday, January 04, 2012

Tuesday, January 3, 2012

एक फूल हु मैं

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एक फूल हु मैं
फूल हु मैं कोई कागज़ तो नहीं जो फाड़ के फैक दिया जाय
फूल हु मैं कोई राख तो नहीं जो झाड़ दिया जाय
फूल हु मैं कोई कटा तो नहीं जो चुभन दे जाऊ
फिर क्योँ मुझे भी बाट दिया इंसानों के हिसाब से
लाश पर चढू तो लोग छुने में शर्माते है
भगवान पर चढू तो लोग उठाने के लिए लड़ जाते है
पेड़ पर हु तो सब तोडना चाहते है
सड़क पर हु तो सब कुचलना चाहते है
शहीद पर चढू तो सब नमन करना जानते है
गद्दार पर चढू तो सब थूकना जानते है ...
पर क्योँ मैं फूल हो तो हु कोई इन्सान तो नहीं
जो बाट दिया जाता हु इंसानों के अधार पर
जातियों और वर्गों के हिसाब से
अमीर और गरीबो के चेहरों के हिसाब से ...
फूल हु मैं कोई इन्सान तो नहीं

आशीष त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaTuesday, January 03, 2012