मुझे रोटी नहीं घास खानी है!
मुझे रोटी नहीं घास खानी है ! ये सुनकर शायद आप चौंक गए होंगे लेकिन ये सच है . एक इन्सान एसा भी है जिसे रोटी से ज्यादा अची घास लगती है . जो की नियमित रूप से दिन में 4 से 5 बार ताज़ी घास खाता है . इस व्यक्ति का नाम है गंगा राम उम्र महज़ 35 साल के करीब . काम चमड़ा फैक्टरी मे मजदूर./
जब हमे इस व्यक्ति के बारे में मालूम हुआ तो हमे विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन जब हमने साथ जा कर देखा तो वाकई मे गंगा राम दिन में करीब 250 ग्राम तक घास आराम से खा जाते है /
जब हमने गंगा राम से इस की वजह पूछी तो गंगा राम की आंखे नम हो गई और बोला साहब गरीब की भूख कुछ ऐसी ही होती है . हम बहुत ही गरीब परिवार से थे . बचपन में जब हम स्कूल जाते थे तो माँ अक्सर टिफिन नहीं देती थी कारण घर में खाना ही नहीं होता था /. लेकिन जब आधी छुट्टी के बाद सभी बच्चे खाना खाने बैठे थे तो मैं उन्हे देखा करता थाऔर भूख और गुस्से से पार्क में लगी घास नोच लेता और दातो से चबाने लगता पहले तो ये एक दो पत्ती तक हो जाया करती थी फिर पता नहीं कब इससे मेरी भूख शांत होने लगी /माता पिता ने कई डॉक्टर को भी दिखाया लेकिन सब कुछ नोर्मल निकला / और और अब तो आदत से बन गई है . /गंगा राम से हमने जब पुछा की आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई , तो गंगाराम का एक ही कहना था परेशानी तो हुई लेकिन .... कोई घोडा कोई गधा तो कोई कुछ कहेता था शादी की उम्र हुई तो पहले ही लोग कह देते थे की लड़का घास खता है आपकी लड़की को भी घास खिलाना सिखा देगा. लेकिन किसी तरह शादी हुई तो कुछ सालो बाद बीवी ही छोड़ कर चली गई/
अब किसी तरह से मेहनत मजदूरी कर के कमा खा रहा हु / गंगाराम दिल से जिन्दा दिल है और उनका नाम गिनिश वर्ल्ड बुक में वेटिंग लिस्ट में है और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज है /
ABOUT कानपूर पत्रिका
कानपूर का अपना ब्लॉग जिसे पसंद करते है आप, आप का इस ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद क्योंकि अपने अपना बहुमूल्य समय जो दिया .......कानपुर पत्रिका ;
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment