Friday, November 29, 2019

रक्त सम्बन्ध और मृत आत्माए

Filled under:


रक्त सम्बन्ध और मृत आत्माए



 
जैसे ही सभी कामो से निपटने के बाद लेटा ही था  वैसी ही दिन भर की थकावट के बाद पता नहीं कब नींद के आगोश  में समां गया | सोने के कुछ ही देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी | दरवाज़े खटकने की आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लग रही थी लेकिन नींद में होने के कारण उठने का मन नहीं हो रहा था लेकिन दरवाज़े की अजीब सी खटखटाने ने मुझे नींद से उठने पर मजबूर कर दिया और उठ कर मैं दरवाज़ा खोलने चला गया| दरवाज़ा खोलते मैंने सामने दादा जी को खड़ा पाया |आश्चर्य से मैंने दादा जी से पूछा की दादा जी आप! आप यहाँ ,आप की तो  मृत्य कार एक्सीडेंट में हो चुकी थी आप तो मर चुके थी फिर आप यहाँ कैसे ?
दादा जी ने तुरंत ही मुस्करा कर जवाब दिया की की बेटा  यह घर तो मेरा है मैं इस घर से दूर कैसे जा सकता हु यहाँ तो मेरा सभी से रक्त सम्बन्ध है फिर मैं चाह कर भी दूर  नहीं जा सकता आओ अन्दर आओ दादा जी के साथ दो और व्यक्ति भी घर में प्रवेश कर जाते है और मैं आश्चर्य से देखता रहता हु और यह सोच भी रहा था की दादा जी की मृत्यु हो चुकी वो फिर कैसे आ सकते है मैं तुरंत ही उनके पीछे चल पड़ा दादा जी और वो दोनों व्यक्ति सीधे मेरी माँ के कमरे में प्रवेश कर जाते है माँ भी उन्हे देख कर चौक जाती है और झट से उठ खड़ी होकर दादा जी से वही सवाल फिर से बाबु जी आप यहाँ आप तो, हा बहु हम तो मर चुके थे हम तुम्हे लेने ही आए है क्या तुम हमारे साथ नहीं चलोगी| माँ रोती  हुई सी असहाय सी उन्हें देख रही थी दादा जी का आदेश मिलते ही वो दोनों व्यक्ति माँ को खीच कर ले जाने लगते है और मैं असहाय सा चीख रहा हु लेकिन मेरे मुंह से आवाज़ ही नहीं निकल रही मैं चलने की कोशिश कर रहा हु लेकिन चल भी नहीं पा रहा हु बस एक मूर्ति के सामान वही खड़ा था और वो माँ को खीचते हुए कमरे और फिर घर से बाहर  ले जाते है और अचानक ही एक चीख के साथ मेरी नींद खुल जाती है उस गुलाबी ठण्ड में भी मैं पसीने से भीग चूका था और मेरी चीख सुन कर माँ और पिताजी भी मेरे पास  आ चुके थे क्या हुआ बेटा क्या फिर से तुमने वही सपना देखा क्या ! मैं हां में सर हिला कर जवाब दिया | माँ, क्या तुम भी दादा जी को मरे हुए ३ साल हो चुके है और अक्सर ही तुम इस तरह से ही चौक कर उठ जाते हो माना दादा जी से तुम्हे ज्यादा प्यार था और उनके असमय कार दुर्घटना में मृत्यु तुम सह नहीं सके तुम्हरी आँखों के सामने ही उनकी मृत्यु हो गई और तुम कुछ नहीं कर सके | लेकिन माँ ऐसे सपने मुझे ही क्यों आते है | माँ मैंने सुबह देखा था की तुम फिर से सीने में हाथ रख कर सोये थे इसलिए ही तुम चौक पड़ते हो | साइंस तुम पड़ते हो और जवाब मुझे देना पड़ता है| चलो उठो और फ्रेश हो मैं चाय बनाती हूँ | लेकिन माँ दादा जी के साथ वो दो और व्यक्ति कौन है और वो तुम्हे ही क्यों ले जाते है  माँ अपने परिवार की पुरानी फोटो आज जरुर दिखा देना प्लीज़ , प्लीज़ माँ आज | ठीक है पहले सारे कामो से फ्री तो हो जाऊ ठीक | अब चलो उठो जल्दी से |

WRITTEN BY PANDIT ASHISH TRIPATHI

TO BE CONTINUED....

1 टिप्पणियाँ: