घर में मातम लेकिन नाचना
जरुरी है
जो नाच गाने का काम करते है
अगर उनके घर में मातम हो भी जाय तो क्या उन्होंने जिसके यहाँ नाचने के पैसे लिए है
उसके यहाँ तो नाचने जायंगे ही न !
शायद समझ में नहीं आया की
हम ये बात क्यों कर रहे है दरअसल बात यह है की वर्ष 2007 में मेरे एक पत्रकार मित्र लखनऊ में थे और रात
में 12 के आस पास अपने फ्लैट की बालकनी में बैठे कुछ कर रहे थे तभी देश के दो
प्रतिष्ठित समाचार चैनल के दो पत्रकार जो उसी फ्लैट में रहते थे अपनी इन्नोवा कार से
रुके और अपनी कार से ड्राइवर की मदद से बोरी उतरवाने लगे दो बोरी उतर ही पाई थी की
तीसरी बोरी फस गई और बोरी फट गई और उससे 1000 की गाद्दिया गिर पड़ी |
क्या ये पैसे सैलरी के थे
या ये खबर दबाने के थे या किसी की दलाली के !
आज इनकी मजबूरी है की
इन्हें खबर तो दिखानी है काले धन की लेकिन कई पत्रकार बंधुओ के पास भी काला धन है
लेकिन अपने घर में मातम है लेकिन मजबूरी है की खबर दिखाय या अपने पैसो को कैसे
सफ़ेद करे |
देश में कई पत्रकार है
जिनका करोड़ो रुपया काले धन से राख हो गया है |
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