दोस्ती में ढगा गया दोस्तों से दगा मिला
दोस्त होते है काम के या सिर्फ मतलब नाम के ..
जब जरुरत थी तब नहीं थे और जब लूटने की बारी आई तो लूट्ने सब आये
धोखा चाल फरेब चापलूसी सब नाम है दुश्मनों के
लेकिन कलयुग में मिलते है दोस्तों के नाम से ..
दोस्ती में ढगा गया दोस्तों से दगा मिला
एक एक कर के आये या एक साथ आये वो
लुटवाने का इरादा न था पर लूटने सब आये जो ..
दोस्ती नाम था क़ुरबानी का हमसफ़र का ....
जरुरत औरपरेशानियों में साथ का ...
आज वही दोस्त हमे साफ करने में लगे है
हमारे सुख को दुःख में बदलने में लगे है ..
हमारी खुशिया आज उनके किसी काम की नहीं
और हमारे आशु उनकी तरक्की का टानिक बन गय
दोस्ती में ढगा गया दोस्तों से दगा मिला
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