Monday, August 30, 2010

बचपन

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बचपन

सपने में आया एक सपना
था एक प्यारा सा घर अपना
बचपन में खेले जिस घर में
भाई बहन साथी भी संग में 
गुडिया का ब्याह रचाना 
 गुड्डे की बारात बुलाना
गुडिया को डोली में बिठाना
था बचपन का खेल सुहाना
बचपन का वो दामन छूटा
खुशियों का वो आगन छूटा
भाग्य को कोई समझ पाया
एक दिन ऐसा मंजर आया
छूट गया वो खेल खिलौने 
भूल गए वो गुड़िया की शादी 
दूर हुए सब संग साथी 
रह केवल यादे बाकि ......
संध्या

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