हल्दी को हल्के में ना लें♥️
हल्दी की गांठ (पीले कपड़े में हल्दी की गांठ और सरसों के कुछ दाने बांधकर दाई बाजू में या लॉकेट की तरह गले में पहनना) या पुखराज एक बराबर फायदा करते हैं और हल्दी की गांठ थोड़ा ज्यादा करती है क्योंकि उससे जातक के पैसें बचते हैं, मेरा उद्देश्य ये कहना कतई नहीं था कि पुखराज रत्न खराब है या कम असरदार है, लेकिन मेरा उद्देश्य ये हमेशा रहता है कि अगर दस का काम पाँच में और पाँच का काम मुफ्त में हो रहा हो तो मैं जातक को मुफ्त वाला रास्ता बताऊँ, क्योंकि शायद वही रास्ता जानने जातक ज्योतिषी के पास आता भी है।
उस पोस्ट पर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली कई लोगों ने कहा हमने इस तरह कभी सोचा ही नहीं आगे से ऐसे भी सोचेंगे, कुछ ने कहा हम इसे आजमाकर देखेंगे, पर कुछ लोग राशन पानी लेकर मुझ पर चढ़ गए उनमें से कुछ ने कहा ये बड़ी फालतू बात है कुछ ने कहा कि पुखराज देशी घी है और हल्दी डालडा दोनों की कोई तुलना नहीं।
मुझे इस विषय पर बस थोड़ी सी बात कहनी है जो उस दिन रह गयी थीं, हल्दी और पुखराज की तुलना ही गलत है पुखराज एक रत्न है जिसका दूसरा या तीसरा उपयोग मैं नहीं जानता, उसकी तुलना में हल्दी एक औषधीय पौंधा है जो ना सिर्फ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि उसका अपना धार्मिक महत्व भी है, हल्दी इतनी गुणकारी है कि अमेरिका जैसे देश की एक यूनिवर्सिटी ने उसका पेटेंट करवा लिया था फिलहाल केस में भारत को जीत मिल चुकी है ।
हाँ एक बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ पुखराज पहनना मॉर्डन लगेगा हल्दी की गांठ गले में पहनना या दायीं बाजू में बांधना उतना कूल नहीं लगेगा, हल्दी, पीला कपड़ा और पीला धागा शुरुआत में रंग भी छोड़ेगा जिससे कपड़े खराब हो सकते हैं।
अंत में मैं फिर से वही कहूँगा मेरा उद्देश्य ये कहना कतई नहीं है कि पुखराज रत्न खराब है या कम असरदार है उसकी अपनी उपयोगिता है लेकिन हल्दी को हल्के में ना लें।🌺🙏🏻
नोट:- पीले कपड़े में हल्दी की गांठ और काली सरसों के बीज बाँधकर/सिलकर पीले डोरे के साथ उसे दाएं बाजू या गले में गुरूवार के दिन सूर्योदय के समय गंगा जल और कच्चे दूध से धोकर धारण कीजिए ठीक उस तरह जिस तरह रत्न धारण करते हैं।
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