यूँ तो 5 राज्यों में पांचवें चरण का मतदान संपन्न होने को है जिसमें देश की सबसे बड़ी लोकतंत्र की भाजपा सरकार पूरी ताकत उत्तर प्रदेश में दोबारा भाजपा सरकार बनाने को लेकर झोंके हुए हैं जबकि उधर यूक्रेन में 20000 भारतीय छात्र छात्राओं की जान अधर में लटकी हुई है ऐसे में प्रधानमंत्री हालांकि उन्हें सुरक्षित निकालने के सारे बंदोबस्त में जुटे हुए हैं ऐसी स्थिति में भी देश के प्रधानमंत्री गृहमंत्री अमित शाह की निगाहें यूपी से हट नहीं रही पूरी तरह से प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है आज पांच चरणों के मतदान को देखें तो चर्चाओं में औसतन 60 फीसदी ही मतदान हुआ है अंतिम चरण तक 60 फ़ीसदी मतदान करने वालों का औसत बना रहे यह बड़ी बात है मतलब 40 फीसदी लोगों ने लोकमत की सरकार बनाने का बहिष्कार किया है यह बहिस्कार क्यों हुआ यह तो बहिस्कार करने वाले ही बता सकते हैं ऐसी परिस्थितियों में इस तरह से निष्पक्ष सरकार की उम्मीद ही क्या की जाए इसमें बड़ी संख्या में वोट डालने वालों ने जिसका जितना बल ज्यादा उसका उतना समर्थकों होंगे उसके बाद दूसरे बड़े बहुमत वाले तथा उसके बाद उसके कम वाले समर्थकों में वोट डालने में जागरुकता दिखाई यानी 20 से 25 फ़ीसदी ही ऐसा मतदान हुआ जो निष्पक्ष चुनाव चाहते थे जबकि 40 फीसदी मतदान ऐसा हुआ ही नहीं जो लोग वाकई में निष्पक्ष सरकार बनवा सकते थे सरकारों के यह सोचना चाहिए कि मतदान प्रतिशत घट नहीं रहा है बल्कि सरकारों के प्रति लोगों का नजरिया कितना बदलता जा रहा है यह चिंता का विषय है यही हाल रहा तो सरकारें समर्थकों के दम पर बन जाया करेंगी ऐसे में जो समर्थक कार्यकर्ता जिसका जितना ज्यादा होगा उसी की सरकार बन जाया करेगी आम मतदाता की कोई जरूरत ही नहीं है छोड़ दीजिए उन्हें उनके हाल में ऐसे ही बनेगी लोकतंत्र की सरकारें क्या हाल होगा आने वाले समय में इस तरह की स्थितियों से क्या बनता चला जा रहा है लोकमत लोकतंत्र की सरकारों की बातें केवल कागजी ही रह जाएँगी विशेषज्ञों को सोचना होगा इस तरह का माहौल के प्रति |
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