यूक्रेन में रूस के जारी हवाई हमलों से दुनियाभर के देश दो भागों में बटते दिख रहे हैं जहां तक रूस की बात है तो वह संयुक्त राष्ट्र के दबाव के बावजूद अपने पैर वापस लेने के लिए तैयार नहीं है जिसने भारत की स्थिति पहले ही भारतीय नागरिकों को सुरक्षित घर वापसी के लिए खराब बनी है वहीं दूसरी ओर उसके सामने अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है जिसने अमेरिका ने उसे जहां अपने पाले में खींचने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है वही रूस ने अपने पक्ष में खड़ा होने की बात रखी है ऐसी स्थिति में प्रमुख बात यह है कि भारत की रूस से बहुत पुरानी अपनी संधि है समय-समय पर रूस ने भारत के आंतरिक सुरक्षा संसाधनों को विकसित करने में ना सिर्फ मदद की है बल्कि युद्ध के समय उसने अपने अत्याधुनिक हथियार भी उसे मुहैया कराए थे आज भी देश के रक्षा संसाधनों को विकसित करने व खरीदारी में भारत रूस पर ही निर्भर है ऐसी स्थिति में तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए पक्षधर बने बैठे भारत की स्थिति क्या है भले ही वह कुछ भी कहे किंतु वर्तमान स्थिति में कशमकश तो होगी ही हालांकि भारत का मूल मंत्र अहिंसा परमो धर्मा पर टिका है जहां तक इस युद्ध की बात है तो इस युद्ध में जिस तरह से बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है ऐसी स्थिति में हाल फिलहाल यूक्रेन में फंसे तकरीबन 20000 छात्रों सुरक्षित घर वापसी करना ही मूल मकसद है जिसमें वह प्रयासरत भी है किंतु आगे आने वाला समय उसके लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा ऐसे में भारत क्या करेगा यह तो समय गर्त में है