Wednesday, March 24, 2021

*★★ ज्योतिष - पंच-तत्व*

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*★★ ज्योतिष - पंच-तत्व*

•• ग्रहों के बलवान होने से जातक में तत्व-वृद्धि होती है और शरीर लक्षण से विद्वान जान लेते है कि - जातक पर किस ग्रह का सर्वाधिक प्रभाव है । 
देखें -मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि किस तरह बलवान होकर तत्व-रूप में अपना प्रभाव प्रकट करते है । सूर्य और चंद्र का इसमे समावेश नही है । केवल पंचतारा ग्रह ही ऐसे अपना प्रभाव प्रकट कर पाते हैं । सूर्य - सितारा है, जो पंचतारा ग्रहों को सक्रिय करता है और चंद्र, पृथ्वी का उपग्रह है - जो पृथ्वी और सूर्य के तालमेल से अपना प्रभाव प्रकट करता है ।  बाकि के बचे पंचतारा ग्रह - अपना तत्व प्रकट करने में समर्थ है । हालांकि - सूर्य और चंद्र भी अग्नि-तत्व प्रधान और जल-तत्व प्रधान ग्रहों से सम्बद्ध बनाये तो अपने-अपने तत्व की वृद्धि करते हैं । सूर्य - अग्नि-तत्व की और चंद्र - जल-तत्व की वृद्धि करते हैं ।
• अगर - मंगल बलवान हो तो जातक में अग्नि-तत्व प्रबल होगा । ऐसे में - जातक अधिक भूख वाला, चंचल, फुर्तीला, निडर, पतला, बुद्धीमान, अधिक खाने वाला, तीखा स्वभाव, गोरा रंग और स्वाभिमानी होता है । जब अग्नि तत्व की छाया जातक में प्रकट होती है - तब जातक सोने की चमक की तरह चमकदार दिखता है । उसकी आँखों मे आकर्षण और सफलता भरे कार्य होते हैं तथा प्रचुर धनलाभ होता है ।
अष्टक वर्ग के अनुसार मेष, सिंह और धनु राशि बलवान हो और कुण्डली अनुसार 1, 5 और नवम भाव बलवान हो तो - अग्नि-तत्व और भी प्रबल हो जाता है ।
• अगर - बुध बलवान हो तो जातक में पृथ्वी-तत्व प्रबल होता है । ऐसे में जातक स्वाभाविक गन्ध युक्त, कपूर और कमल की खुशबू वाला, भोग भोगने वाला, सदैव सुखी, बलवान, क्षमाभाव से युक्त और शेर की तरह दबंग आवाज वाला होता है । जब शरीर मे बलवान पृथ्वी-तत्व की छाया प्रकट होती है - तब जातक की त्वचा कान्ति युक्त, दाँत और नाखून विशेष चमकदार, धर्म और अर्थ का लाभ पाने वाला तथा भरपूर सुख पाता है ।
अष्टक वर्ग के अनुसार वृषभ, कन्या और मकर राशि बलवान हो और कुण्डली अनुसार 2, 6 और दशम भाव बलवान हो तो - पृथ्वी-तत्व और भी प्रबल हो जाता है ।
• अगर - गुरु बृहस्पति बलवान हो तो जातक में आकाश-तत्व प्रबल होता है ।  ऐसे में - जातक शब्दार्थ को जानने वाला, बातों के गूढ़ अर्थ समझने वाला, नीति विशारद, ज्ञानी, स्पष्टवादी, खरा, बड़े मुँह वाला लम्बे कद वाला होता है । जब शरीर की आकाश-तत्व की छाया प्रकट होती है - तब जातक वाक्पटु, देखने मे सुन्दर, मनोहर बात बोलने वाला और मनोहर बात सुनने वाला होता है ।
प्रकारान्तर से गुरु बृहस्पति में आकाश-तत्व के अलावा वायु-तत्व की भी प्रबलता रहती है ।  ऐसे में - कुण्डली में वायु-तत्व राशियाँ और वायु-तत्व भाव बलवान हो और ऐसे किसी राशि अथवा भाव में बलवान गुरु बृहस्पति हो और लग्न-लग्नेश से संबंध बना ले तो आकाश-तत्व की बढ़ोतरी हो सकती है ।
• अगर - शुक्र बलवान हो तो जातक में जल-तत्व प्रबल होता है । ऐसे में - जातक कान्तियुक्त, उत्तरदायित्व को उठाने वाला, प्रिय वचन बोलने वाला, अधिकार-युक्त, अनेक मित्रों वाला, कोमल स्वभाव वाला और विद्वान होता है । जब - जल-तत्व की छाया शरीर मे प्रकट होती है - तब जातक कोमलता से व्यवहार करने वाला, स्वस्थ, अभीष्ट सिद्धी पाने वाला, मनोरथ पूर्ण करने वाला और अनुकूल भोजन पाने वाला होता है । 
अष्टक वर्ग के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन राशियां बलवान हो और कुण्डली अनुसार 4, 8 और 12 भाव बलवान हो तो - जल-तत्व और भी प्रबल हो जाता है ।
• अगर - शनि कुण्डली में बलवान हो तो जातक में वायु-तत्व प्रबल होता है । ऐसे में - जातक दानी स्वभाव वाला परन्तु क्रोधी होता है । गोरा रंग, घूमने का शौकीन, अधिकार-युक्त, न दबने वाला और पतले शरीर वाला होता है । जब - वायु-तत्व की छाया शरीर मे प्रकट होती है  - मन मे मलिनता आ जाती है, विचार दृढ़ और तीव्र नही रहते, निर्णय करने में भूल होती है, वायु-रोग, शोक और सन्ताप होते है । ये कदाचित शनि की विशेषता है । 
अष्टक वर्ग के अनुसार मिथुन, तुला और कुम्भ राशियां बलवान हो और कुण्डली अनुसार 3, 7 और एकादश भाव बलवान हो तो - वायु-तत्व और भी बलवान हो जाता है ।

*सुरेश भारद्वाज - उल्हासनगर, मुम्बई ।*

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