चिकित्सा खण्ड : - विशेष रोगों के योग : - शुगर : -
यदि शुक्र तथा चन्द्रमा जन्म कुंडली में द्वादश लग्न द्वितीय भाव अथवा छठे सातवे व आठवे भाव में स्थित हो तो शर्करा रोग होता है । इसके अतिरिक्त यदि गुरु की दोनों रशिया पीड़ित हो जाए तो शर्करा रोग अवश्य होता है ।
उपाय : - शुक्रवार को शुक्र की होरा में शर्करा कुम्भ दान शर्करा सात किलो / तुला दान अपने वजन के बराबर चावल व तराजू। क्रीम कलर के रेशमी वस्त्र और 365 रूपये का दान शुक्र की होरा में करे | औषधि गुलर के मुलायम पत्ते कोपल 7 की संख्या में भोजन से पहले चबाकर खाए। पत्ती पत्ती खाते समय हो शुक्राय नमः काा मंत्र भी बोलते जाएं यह प्रक्रिया 1 वर्ष तक करते रहें
।
गुनगुने जल से सेवन करे व सेवन करते समय ॐ धन्वंतरये नमः का मन्त्र भी बोलते जावे । एसिडिटी : - जब शनि गृह की स्थित कुंडली में दुसरे चौथे सातवे व 10 वे भाव में हो या द्रष्टि पद रही हो तो एसिडिटी होने के लक्षण होते है । उपाय : - काचा प्याज संरक्षित खाद्य पदार्थ बसी भोजन उड़द पापड़ मुली का सेवन न करे । कोलैटिस संग्रहणी : - जब राहु ग्रह की स्थित कुंडली में लग्न चौथे छठे आठवे नवे भाव में हो या द्रष्टि पड़ रही हो तो कोलैंटिस संग्रहणी -11 -Mouth
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