राशियों की गणना
राशि की गणना करने के लिए आपको ज्योतिषी विद्या का ज्ञान होना चाहिए । विद्वानों के अनुसार आकाश मंडल 360 अंश का एक भचक्र मौजूद है जिसे 12 राशियों व 27 नक्षत्रों में बांटा गया है । इस तरह एक राशि 30 अंश की बनती है । राशियों की गणना सूर्य राशि , चंद्र राशि , नाम राशि तीन तरह से की जाती है । मुख्यत : सूर्य और चंद्र राशि ज्यादा चलन में हैं । लेकिन जब जातक की जन्म तिथि , समय आदि का सही ब्यौरा मौजूद न हो तो उसके नाम से भी राशि का निर्धारण किया जा सकता है । राशियों का नामकरण राशि वास्तव में आकाश में स्थित ग्रहों की नक्षत्रावली की एक विशेष आकृति व उपस्थिति का नाम है । आकाश में न तो कोई भेड़ और न कोई शेर है , आसानी से पहचानने के लिए तारा समूहों की आकृति की समानता और स्वभाव को ध्यान में रखकर महर्षियों ने परिचित वस्तुओं के स्वभाव के आधार पर राशियों का नामकरण किया है । ज्योतिषीय गणना की दृष्टि से पहली राशि मेष को माना गया है । दूसरी वृषभ , तीसरी मिथुन , चौथी कर्क , पांचवी सिंह , छठी कन्या , सातवीं तुला , आठवीं वृश्चिक , नौंवी धनु , दसवीं मकर , , ग्यारहवीं कुंभ और बारहवीं राशि मीन है ।
ज्योतिष शास्त्र में राशि का महत्व राशि का महत्व ज्योतिष शास्त्र में इस बात से लगाया जा सकता है कि , राशि के बिना ज्योतिष आधार हीन है । ज्योतिष में 12 राशि का विशेष महत्व हैं । ये राशियां जातक के जीवन को प्रभावित करती हैं । इन्हीं राशियों की स्थिति की गणना के आधार पर ज्योतिषाचार्य जातक की कुंडली में जन्म राशि , राशि ग्रह तथा राशि स्वामी का आकलन कर जातक के गुण - अवगुण , प्रवृत्ति , व्यवहार और जातक को जीवन में कितनी सफलता प्राप्त होगी इसका पता लगाते हैं । जन्म राशि के अनुसार जातक के आने वाले वर्ण के आधार पर उसके निवास स्थान का नाम , व्यापार स्थल का नाम या व्यापार का नामकरण करना बहुत ही शुभ माना जाता है ।
राशि के प्रकार जैसा कि ऊपर भी जानकारी दी गई है कि राशियों का निर्धारण सूर्य , चंद्रमा व नाम के आधार पर होता है इसी से राशियों को अलग - अलग वर्ग में रखा जा सकता है । मुख्यत : राशियां चंद्र राशि , सूर्य राशि व नाम राशि तीन प्रकार की होती है । वहीं प्रत्येक राशि में किसी खास तत्व की प्रधानता मिलती है , इसके आधार पर राशियों को चार वर्गों में बांटा जाता है । इनमें जल , अग्नि , पृथ्वी और वायु तत्व प्रधान राशियां शामिल हैं । कर्क , वृश्चिक एवं मीन जैसा कि इनके नाम से भी लग रहा है यह राशियां जल तत्व प्रधान मानी जाती हैं । मेष , सिंह और धनु को अग्नि तत्व प्रधान राशि माना जाता है , मिथुन , तुला और कुंभ वायु प्रधान राशि मानी जाती हैं तो वहीं वृषभ , कन्या और मकर राशियां भू तत्व प्रधान राशइयां मानी जाती हैं ।
स्वभाव के अनुसार भी राशियां तीन प्रकार की मानी जाती हैं इनमें चर , स्थिर और द्विस्वभाव वाली राशियां हैं । मेष , कर्क , तुला और मकर राशि को चर राशि माना जाता है वहीं वृषभ , सिंह , वृश्चिक व कुंभ राशि स्थिर राशि मानी जाती हैं , मिथुन , कन्या , धनु और मीन राशि को द्विस्वभाव वाली राशियां माना जाता है । इसके अलावा लिंग के आधार पर भी राशियों को विभाजित किया जाता है इनमें मेष , मिथुन , सिंह , तुला , धनु , कुंभ राशियां पुरुष राशियां मानी जाती हैं तो वहीं वृषभ , कर्क , कन्या , वृश्चिक , मकर और मीन राशियां स्त्री लिंगी राशियां मानी जाती हैं ।
चंद्र राशि इस राशिवली को ठीक से पहचानने के लिए समस्त आकाश - मण्डल की दूरी को 27 भागों में बांटकर कर प्रत्येक भाग का नाम एक - एक नक्षत्र रखा । सूक्ष्मता से समझने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार भाग किए , जो चरण कहलाते हैं । चन्द्रमा प्रत्येक राशि में ढाई दिन संचरण करता है । उसके बाद वह अलग राशि में पहुँच जाता है । भारतीय मत से इसी राशि को प्रधानता दी जाती है । वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों में सबसे अधिक महत्व चन्द्र को ही दिया गया है । इसे नाम की संज्ञा भी जाती है । क्योंकि ज्योतिष के अनुसार बालक का नाम रखने का आधार यही चन्द्र राशि होती है । जन्म के समय चन्द्र जिस नक्षत्र में स्थित होता है । उसके चरण के वर्ण से आरम्भ होने वाला नाम व्यक्ति का जन्म राशि नाम निर्धारित करता है ।
सूर्य राशि वर्तमान समय में राशिफल से संबंधित अधिकांश पुस्तकें पाश्चात्य ज्योतिष के आधार सूर्य राशि को महत्ता देते हुए प्रकाशित की जा रही हैं , जिस प्रकार वैदिक ज्योतिषाचार्य चन्द्र राशि को ही जातक की जन्म राशि मानते हैं और उसे मुख्यतः महत्व देते हैं , उसी प्रकार पाश्चात्य ज्योतिष ज्ञाता जातक की सूर्य राशि को अधिक महत्व देते हैं । माना जाता कि सूर्य जीवन में आत्मा का कारक है ।
नाम राशि नाम राशि का आशय है आपके नाम का पहला अक्षर किस राशि से संबंध रखता है । ज्योतिष शास्त्र में जातक के नाम का विशेष महत्व है । दरअसल जातक का नाम उसके स्वभाव , गुण और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बतलाता है । इसलिए ज्योतिष शास्त्र में नाम राशि का विशेष स्थान है ।
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