सुन माताओं के क्रंदन
भड़का शोला अभिनंदन का
सीना चीर पवन का
चूमा मस्तक नील गगन का
सामने देख शत्रुओ को
टूट पड़ा मिग 21 से जो
सामने था शत्रु का एक एफ 16 शेष
भारत माँ की रक्षा को जो था गगन में
एक लक्ष्य था कि न होगा रुदन देश मे
मार कर पहुँच गया था दुश्मन देश मे वो
भारत माँ के नारों से गूंज उठा तब शत्रु देश वो
मृत्यु को जिसने दिया था रोक
उसने की शत्रुओ पर अनगिनत चोट
उस अभिनंदन का वंदन करता भारत देश
युवा रखेगा अब उनका जैसा वेश।
पंडित आशीष जी त्रिपाठी
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