तुम थे तो हमारे जैसे ही
अलग क्या हुए हमसे
तुम्हारा दिल और दिमाग
रक्त और वक्त
इंसानियत और मासूमियत
सभी से तो तुमने मुँह फेर लिया
ये तुमने कौन सा रूप लिया
तुमसे जो अलग हुआ
वो बढ़ता ही गया
लेकिन तुम हमसे अलग
होकर घटते चले गए
ऐ मौला वो कौन सा वक्त था
जब कश्मीर पर कभी मेरा
कभी उनका नाम हुआ
उनको उस धरती पर
ऐसा क्या गुमान हुआ
की उनकी नफ़रतें
सिर्फ हमारे नाम हुई।
पंडित आशीष जी त्रिपाठी