Monday, May 28, 2018

रिश्तो का क़त्ल भाग एक

रिश्तो का क़त्ल 
ये कहानी आधारित
है एक दस वर्षीया बच्ची के अपरहण पर की किस तरह उसका अपरहण उसका सगा चाचा  उसकी के घर में रह कर उसे पढ़ाने आने वाले टीचर के माध्यम से सिर्फ अपने आपसी रिश्तो में कड़वाहट आ जाने के लिए करता है और खुद नशे का लती भी है !
कहानी बच्ची के अपरहण के इर्दगिर्द घुमती है साथ में इश्वर के चमत्कारों के द्वारा बच्ची कैसे अपने माता पिता को वापस मिल जाती है और सब की असलियत कैसे सामने आती है ये सब इस लघु कथा में आप पड़ पायेंगे /
बस रोज़ एक पन्ना ........

रोज़ की तरह आज भी  खुशगवार मौसम था सभी रोज़ की ही तरह अपने अपने काम में व्यस्त थे घर के अन्दर एक और विजय अपने ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा होता है वही दूसरी और अपनी बच्ची को भी स्कूल जाने के लिए तैयार कर रहा होता है और विजय की पत्नी अवंतिका रसोई में दोनों के लिए नाश्ता तैयार कर रही होती है /

अवंतिका विजय से सुनिए आप तैयार हो गए हो तो प्लीज़ स्पंदना को भी तैयार कर देना मैं बस दो मिनट में आई /

विजय अवंतिका से हा सुन रहा हु स्पंदना भी तैयार हो गई है और मैं भी नहीं तैयार है तो आपका नाश्ता श्रीमती जी ......विजय स्पंदना की और इशारा करते हुए क्यों बेटा

स्पंदना भी अपने पापा का साथ देते हुए जी पापा मम्मी तो हमेशा ही लेट ही जाती है और कहती है बस तुम लोगो की वजह से ही मुझे रोज़ देर हो जाती है और स्पंदना और विजय दोनों ताली  देकर हसने लगते  है /

अवंतिका किचन के अन्दर से ही हा मैं ही तो रोज़ देर करती हु मेरे पास कुछ काम है ही नहीं थोडा गुस्से में बोलते हुए और नाश्ता लेकर किचन से बहार आ जाती है

कहानी जारी है*********👍

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