Monday, October 15, 2018

वस्तु उपाय

Filled under:

☆☆ ज्योतिष-झरोखा - 105

★ नक्षत्र + निवास

•• आजकल समय और परिस्तिथियाँ ऐसे हो गए हैं कि - अपना घर लेना और उसे अपनी इच्छा अनुसार बनाना आसान काम नहीं है । मत्स्य-पुराण, भविष्य-पुराण और स्कन्द-पुराण में वास्तु विषयक सामग्री मिलती है । परंतु महानगरों व् नगरों में सभी को वास्तु का लाभ मिल जाये, ऐसा असंभव सा होता जा रहा है । अथवा समस्या होता जा रहा है । शहरों की स्थिति ऐसी हो गई है कि - जहाँ जगह मिले निवास कर लो । ऐसे में वास्तु-सिद्धांत कैसे अपनाये जायें । अगर कोई किराये पे रहता है तो ये और भी जटील समस्या हो जाती है । व्यक्ति सदा इस बात से चिंतित रहता है कि - मेरा घर, मेरे लिये शुभ है कि नहीं ।
लेकिन हमारे शास्त्रों ने, ग्रंथो ने और विभिन्न पुस्तकों ने हमें कई उपाय सुझाएं हैं । जैसे एक ये है कि - जिस नक्षत्र में आप जन्मे है उससे संबंधित सामग्री से घर की सजावट करें तो आपका घर आपके लिये बहुत अनुकूल हो सकता है । कई दोषों का निवारण भी हो सकता है ।
जैसे - अगर आप अश्विनी, मघा अथवा मुला नक्षत्र में जन्मे है तो ध्यान रखे कि - आप केतु के नक्षत्र में जन्मे हैं ।
घर के पर्दे और बेदशीट्स का रंग धूम्र अथवा मटमैला सा हो तो सार्थक होगा । बैठक में एक ड्रैगन का चित्र अला-बला, जादू-टोने और भूत-प्रेत के डर से रक्षा करेगा । घर में गुलाब अथवा चन्दन की सुगंध फैली हो और चन्दन की लकड़ी की कोई सुन्दर वस्तु हो तो शक्ति मिलती है । बैडरूम में कांसे की कोई प्रतिमा याँ पंच-धातु का कोई आभूषण अवश्य रखें ।
लेकिन पहले कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान अवश्य रखें ।
बैडरूम की दीवारों पर ज्यादा कीलें ना ठुकी हो, नहीं तो चैन की नींद मुश्किल हो जाती है । घर का फर्नीचर बहेड़ा, पीपल, बरगद और करंज की लकड़ी से ना बना हो अन्यथा अशांति, क्लेश और प्रेतबाधा तक हो सकती है । बैडरूम में सांप, ड्रैगन के चित्र ना लगायें, ये चित्र यौनजीवन में विसंगतियां लाते हैं । पूर्व दिशा याँ उत्तर दिशा में स्टोर अथवा कबाड़खाना नहीं होना चाहिये । घर में इन दिशाओं में जितना कम भार होगा गृहस्थी उतनी ही सुखपूर्वक चलेगी । पानी का संग्रह उत्तर-पूर्व दिशा में करें । पश्चिम और उत्तर दिशा में सर करके सोने से रोग और अशांति होती है । खिड़कियों के कांच टूटे-फूटे हो तो छोटी-मोटी समस्यायें घर में लगी ही रहती हैं । खिड़कियां घर में अंदर की तरफ खुलती हो तो शुभ होता है ।
वास्तु-शास्त्री खिड़कियों को वास्तु की आँख कहते हैं, ये ज्ञान प्राप्ति का शक्तिशाली माध्यम है ।
उस कमरे में कदापि नहीं सोना चाहिये जिस कमरे की छत ना हो । घर में सीलन ना हो और प्रवेश द्वार का रंग उखड़ा ना हो, ये दरिद्रता और रोग के सूचक माने जाते हैं । घर के मुख्य द्वार के पास कूड़ा-करकट अशुभ फल देता है ।
घरों में वार्डरोब बनाने का फैशन भी है । अगर आप अपने घर में वार्डरोब बना रहे हैं तो इसे दक्षिण याँ पश्चिम में बनाना बेहतर रहेगा । चाहे पूरी दीवार ही क्यों ना घिर जाये । लेकिन अगर ऐसा संभव ना हो तो पूर्व और उत्तर में भी इसे बनाया जा सकता है लेकिन फिर पूरी दीवार नहीं घेरी जानी चाहिये । ईशान-कोण तो खुला रखना ही होगा । sb
अगर आप भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी अथवा पूर्व-षाढा नक्षत्र में जन्मे है तो ध्यान रखे - आप शुक्र के नक्षत्र में जन्मे हैं । आपको अपने घर में सफ़ेद याँ फिरोज़ी रंग का इस्तेमाल करना चाहिये । स्फटिक के शो-पीस अथवा सफ़ेद चन्दन की लकड़ी के फ्रेम से जड़ी तस्वीरें आपको सुख प्रदान करेगी । आप अंग्रेजी रंग याँ कम चटकीले रंग भी घर की दीवारों पर लगा सकते हैं । मछली आकार वाले किसी बर्तन में पानी भरकर बैडरूम में रखना आपको बहुत सुख और शान्ति देगा ।
अगर आप कृतिका, उतरा-फाल्गुनी अथवा उतरा-षाढा नक्षत्र में जन्मे हैं तो आप सूर्य के नक्षत्र में जन्मे हैं । हल्क़े गुलाबी रंग अथवा कत्थई रंग का उपयोग आपके घर के लिये शुभ होगा । ताँबे की बनी वस्तुएं आपके घर की सजावट के लिये बहुत शुभ होगी । काले और गहरे नीले रंग का उपयोग ना करें । प्राकृतिक सुंदरता के चित्र और आकर्षक जानवरों के चित्र सजाने से मन को शान्ति मिलती है । रात्रि में सोते समय सिरहाने से लाल-चन्दन याँ एक ताँबे का टुकड़ा अवश्य रखें । sb
अगर आप रोहिणी, हस्त अथवा श्रवण नक्षत्र में पैदा हुये हैं तो आप चंद्र के नक्षत्र में पैदा हुये हैं । घर की सजावट में कलाकृतियां और चांदी का उपयोग भावनात्मक सुख देता है । बेडशीट्स और पर्दे, मोती जैसे रंग के हो तो सोने पे सुहागा होगा । घर में चमेली की सुगंध राहत प्रदान करती है । चांदी के शो-पीस और आभूषण उत्तम होंगे । वैसे हल्के पीले रंग का उपयोग भी सुखकारी होगा ।
अगर आपने मृगशिरा, चित्रा अथवा धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लिया है तो आपने मंगल के नक्षत्र में जन्म लिया है । सेनापति मंगल के नक्षत्र में जन्मे लोगों को घर की सजावट के प्रति थोड़ा सतर्क रहना चाहिये । सिन्दूरी और कोका-कोला जैसा रंग आपके घर के लिये शुभ सिद्ध होगा और ताँबे से बनी वस्तुएं सजावट के लिये उत्तम है । नीले और काले रंग का प्रयोग आप ना करें । दीवारों पर वीरतापूर्ण कारनामों के चित्र आपके मन प्रसन्न रख सकते हैं । sb
अंत में, फ्लैट याँ घर लेते समय ध्यान रखें कि - उत्तर याँ पूर्व में खिड़कियां अवश्य हो । पूर्व में खिड़कियां ना होने से बच्चों की पढ़ाई और हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है । और उत्तर में खिड़कियां ना होने से आर्थिक व्यवस्था का संतुलन बिगड़ जाता हैं । sb
फैशन और आधुनिकता के चलते लोग घरों में बड़े-बड़े और सुन्दर दर्पण लगाते हैं । ताकि अपनेआपको सजते संवरते देखा जा सके । अपनी सुंदरता का आंकलन किया जा सके और कमी बेशी को दूर किया जा सके । sb
ध्यान रखे कि - दर्पण की ऊँचाई ऐसी हो कि - उसमे पैरों का प्रतिबिम्ब ना दिखाई दे । सात फ़ीट की ऊँचाई में नीचे के तीन फ़ीट छोड़कर ऊपर के चार फ़ीट में ही दर्पण लगाया जाना चाहिये । दर्पण की लंबाई-चौड़ाई समान होनी चाहिये । अगर लंबाई की तुलना में चौड़ाई कम हो तो और अच्छा होगा । sb
अगर आप आर्द्रा, स्वाति अथवा शतभिषा नक्षत्र में जन्म लिये हैं । तो आपने राहु के नक्षत्र में जन्म लिया है । कबूतरी रंग, हल्का काला और नीला रंग इस नक्षत्र में जन्मे लोगों को खूब रास आता है । इसके विपरीत पीला और गहरा लाल रंग अशांति उत्पन्न कर देता है । दीवारों पर हिंसक पशुओं के चित्र मानसिक शान्ति भंग कर सकते हैं । स्टीलयुक्त लकड़ी से बना फर्नीचर घर के लिये उत्तम सिद्ध होगा ।
अगर आप पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा-भाद्रपद नामक गुरु बृहस्पति के नक्षत्रों में जन्म लिये है । तो दीवारों पर पीला रंग तथा पीतल से बने शो-पीस आपको शान्ति और समृद्धि दोनों ही देंगे । सुनहरा और पीली आभा लिये सफ़ेद रंग भी आपके लिये उत्तम सिद्ध होगा । sb दीवारों पर फलों और वनस्पतियों के चित्र आपको राहत देंगे । फूलदान में ताजे फूल रखने से समृद्धि बढ़ती है । घर में स्वर्ण-पात्र और स्वर्ण शो-पीस भी उत्तम सिद्ध होते हैं । बादामी, चिरौंजी और स्वर्ण रंग का भी उपयोग कर सकते हैं । sb
अगर आप पुष्य, अनुराधा अथवा उतरा-भाद्रपद नक्षत्र में जन्म लिये हैं तो आप शनि के नक्षत्र में जन्म लिये है । दीवारों पर नीला रंग स्वास्थ और समृद्धि के लिये बहुत अच्छा है । वैसे कबूतरी रंग और आसमानी रंग भी सुखद सिद्ध होगा । सजावट के लिये शुद्ध स्टील अथवा मिश्रीत धातुओं का प्रयोग कर सकते हैं । जामिनुया और बादली रंग का उपयोग दुर्घटनाओं से आपकी रक्षा करेगा । संतो और महापुरुषों की तस्वीरे बैठक में लगाने से सुखद अहसास होता है । sb
अगर आप अश्लेषा, ज्येष्ठा अथवा रेवती नक्षत्र में जन्मे हैं तो आप बुध के नक्षत्र में जन्मे हैं । दीवारों पर हरा और हल्का रंग आपको विवादों से बचाता है । दूर्वा-रंग और लकड़ी का अधिक प्रयोग बहुत शुभ होता है । सजावट के लिये हरे-भरे मैदानों के चित्र और विचित्र रंगों के चित्र उत्तम होते हैं । शुभ्र और कत्थई रंगो का उपयोग ना करें ।सजावट में तुम्भी का प्रयोग समृद्धि देता है । sb
बहरहाल शयनकक्ष में फूलों का गुलदस्ता अवश्य रखें । लेकिन दूध टपकने वाले फूल-पौधे और कटीले गुलदस्ते ना रखें । इसमें गुलाब के फूलों की मनाही नहीं है । देवमूर्ति और पूजा के उपकरण सजावट के लिये उपयोग ना करें तो अच्छा है । बैडरूम में दवाइयाँ, कटु रस के पत्ते, जुठे बर्तन और झाड़ू नहीं रखने चाहिये । संध्या के समय ईशान-कोण में घी का दीपक लगाने से खुशहाली और समृद्धि बढ़ती है । sb
सुरेश भारद्वाज - उल्हासनगर, मुम्बई.

Posted By KanpurpatrikaMonday, October 15, 2018

Saturday, September 22, 2018

राजनीति का आनंद

Filled under:

राजनीति का ''आनंद ''


प्रदेश में नई सरकार आने के बाद नौकरियों में चली आ रही आपाधापी ख़त्म सी हो गयी थी । इसी बीच हमारी सालों से चली आ रही सरकारी नौकरियों की तैयारी को मानो पंख से लग गए हो । एकदम साफ और निष्पछ ब्यवस्था से पढने-लिखने वाले छात्रों को एक नई राह दिखाई थी । हमने भी पुलिस में दरोगा के लिए फॉर्म भरा और लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद हमारा चयन दारोगा के पद पर हो गया । कुछ दिनों में हमे जोइनिंग भी मिल गयी।  अब हमारे परिवार में सभी खुश थे कि सालों की मेहनत के बाद हमारी मेहनत का फल हमे मिला। हमारी पहली पोस्टिंग के कुछ दिनों बाद मेरे जिले के सरकारी विद्यालय में आज प्रदेश के शिक्षा मंत्री का निरिक्षण था और हमारे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हमे भी उनकी सुरक्षा ब्यवस्था के लिए तैनात किया गया था । हम सभी उनके स्वागत के लिए आतुर थे की उनके काफिले में लगभग १० गाड़ियाँ थी जो हूटर बजाते हुए रुकीं । उनके उतरते ही सभी ने उनका अभिवादन किया और जैसे ही उन शिक्षा मंत्री को मैंने देखा मेरी आँखे खुली की खुली रह गयीं । उन्होंने भी हमे देखा और हल्की सी मुस्कराहट के साथ मेरे कंधे पर हाँथ रखा और आगे बढ़ गए मई । काफी देर तक अचम्भित सा था वर्तमान से मै अचानक 10 साल पीछे अतीत में चला गया और अपने स्कूल की यादों में खो सा गया । मेरे कानो के आस पास अब शोर की जगह सिर्फ सन्नाटा था और अतीत के पन्नो को मैं देख रहा था । मेरे स्कूल के दिनों में हम चार दोस्त हुआ करते थे। मैं आनन्द,दीपक और राजशेखर । दीपक बेहद गरीब परिवार से था और उसके पापा चाय की दुकान चलाते थे हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान उसके पापा की अचानक मौत हो गयी और उसे परीक्षा के समय ही पढाई छोडनी पड़ी और अपने पापा की चाय की दुकान को सँभालने लगा । अब हम तीनो स्कूल के बाद दीपक की चाय की दुकान पर पहुँच जाते थे ताकि दीपक को  बुरा न लगे । अब हम तीनो में राजशेखर और मैं ही पढाई मे तेज थे । आनन्द बेहद ही झगड़ालू प्रवत्ति का था और अक्सर किसी न किसी बात पर उसकी स्कूल में लड़ाई हो जाती थी । उसके पापा ठेकेदार थे जिससे पैसों की कमी उसको नहीं हुआ करती थी । वो तो हमेशा कहा करता था कि पढ़ लिख कर कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता है सिर्फ सरकारी नौकरी ही मिल सकती है । इंटर करने के बाद हम सभी अलग-अलग हो गए । राजशेखर बड़े शहर से पत्रकारिता का कोर्स करने चला गया । आनन्द अपने के परिवार  के साथ भी गावं छोड़कर चला गया । बस मैं और दीपक ही गावं में रह गए । दीपक को हमेशा आगे न पढ़ पाने का मलाल था । वह आगे कर भी नहीं कुछ सकता था ।
मैं भी नौकरी के लिए तैयारी करता रहा और नौकरी मिली भी लेकिन सालों बाद जब वापस वर्तमान में खड़ा था तो शिक्षा मंत्री आनन्द शर्मा के सामने । जो कभी मेरे साथ पढता था और हमेशा यही कहता था कि पढाई-लिखाई से सिर्फ नौकरी मिल सकती है बड़े आदमी नहीं बन सकते ।
तभी किसी ने मुझको आ कर हिलाया और कहा की सर कितनी देर से आप को बुला रहे है क्या सोच रहे हो तुम्हारा ध्यान किधर है । तभी हमने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की ओर कदम बढ़ा दिया और जैसे उनके सामने पहुंचा उन्होंने कहा की तुम्हे मंत्री जी की सुरक्षा के लिए लगाया गया था की सपने देखने के लिए जाओ तुम्हे मंत्री जी बुला रहे है । और मैं मंत्री जी के कमरे की ओर बढ़ा , तभी उन्होंने कहा कि आओ गौरव आओ।  सभी मेरी ओर आश्चर्य से देखने लगे । उन्होंने हमे बैठने के लिए कुर्सी भी दी सभी मुझे ही घूर रहे थे । तभी आनन्द ने कहा कि गौरव मेरा दोस्त है मेरे साथ पढ़ा है और हम सब साथ में ही खेलते थे । गौरव ये बता कि दीपक कैसा है ,वह बेचारा बहुत गरीब था ,क्या वह अभी भी चाय का होटल ही चला रहा है ? मुझे अच्छा लगा कि आनन्द को सब कुछ याद है और वह राजशेखर बड़े अख़बार में संपादक है ,मैंने हाँ में सर हिलाया अच्छा ये बता तुझे नौकरी कब मिली मैंने कहा सर यह पहली पोस्टिंग ही है । तभी आनन्द अचानक से उठता है और सभी लोग उसके साथ खड़े हो जाते है। आनन्द ने मुझसे कहा गौरव तू चल अभी रात में गेस्टहाउस में आकर मुझसे मिल , वही पर बात करेंगे । मैंने हाँ में फिर सर हिलाया । बोल कर बाहर आ गया । अपने अधिकारियों के निर्देश पर उनकी सुरक्षा में लग गया । उनके जाने के बाद यह बात सब को पता चल गयी की आनन्द और मैं एक साथ पढ़े थे ,सब अपनी अपनी दोस्ती का हाँथ मेरी ओर बढाने लगे । उनके जाते ही मैं निराश सा घर आ गया ।
सब ने मुझसे पूछा की इतना उदास और थके हुए से क्यों हो ? तब मैंने बताया की अपने गावं में जो आनन्द मेरे साथ पढता था वही आनंन्द शर्मा आज शिक्षा मंत्री है।  तभी बाबूजी ने पूछा वो शर्मा ठेकेदार का लड़का ,मैंने हाँ में सर हिलाया तो बाबु जी ने कहा इसमें खुश होने की बात है।  उसने तुझे पहचाना कि नहीं ,मैंने कहा की उसने मुझे पहचाना भी और साथ में बैठाया भी और शाम को गेस्टहाउस पर भी बुलाया है। पापा पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। न ही उससे मिलने की कोई खुशी है। घर वालों का व्यवहार भी आनंद के प्रति सम्मानजनक था, पर मेरा उसका मंत्री बन जाना अच्छा नहीं लग रहा था । ये कोई जलन नहीं थी, ये सिस्टम का दोष था । मेरी नाराजगी आनंद से नहीं थी , बल्कि सिस्टम से थी ।
रात को मैं आनन्द से मिलने उसके गेस्टहाउस पहुंचा । उससे मिलने के लिए मुझे अपना परिचय भी देना पड़ा। जबकि मैं अपने दोस्त से मिलने गया था । तभी आनंन्द ने अन्दर से मुझे बुला लिया । अब कमरे में आनन्द और मेरे सिवा कोई नहीं था ,था तो सिर्फ सन्नाटा । आनन्द ने मुझे एक दोस्त के तरीके गले लगा लिया और कहा की ये सब सुरक्षा और इज्जत मंत्री का पद सब दूर से अच्छा लगता है,  मैं अपनों से ही नहीं मिल सकता और न ही अपनों के लिए टाइम है। लेकिन आज तुझे देखते ही लगा कि कोई अपना मिला, इसीलिए तुझे बुला लिया लेकिन तू ये बता तू इतना उदास सा क्यों है? क्या तुझे अच्छा नहीं लगा मुझसे मिलकर ? नहीं ,मतलब मुझे भी अच्छा लगा लेकिन दीपक तू राजशेखर और मैं चार लोग साथ में थे । दीपक आज सबसे निचले स्तर पर है और तू सबसे ऊपर।  राजशेखर भी एक अच्छी स्थिति में है और मेरे पास भी सरकारी नौकरी। मुझे तुझसे या तेरी शानोसौकत से कोई दिक्कत नहीं है । लेकिन एक सवाल मन में है कि दीपक पैसों की वजह से पढ़ नहीं सका और तू मतलब आप पढाई में इंटरेस्ट ही नहीं रखते थे । तुम कहा भी करते थे कि पढ़-लिख कर कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता मैंने और राजशेखर दोनों ने पढाई की और दोनों नौकरी कर रहे है । दीपक के पास एक अच्छी दुकान है लेकिन वेतन के मामले में हम दोनों से महीने में अच्छा कमा रहा है । मतलब बिना पढाई के वो हमसे ज्यादा कमा रहा है ,लेकिन मेहनत करके।  दूसरी तरफ तुम जिसने पढाई की और मंत्री बन गए और हम जैसे लोग आपकी सुरक्षा में लगे हुए है ।
मतलब क्या शिक्षा व्यवस्था इतनी लाचार है या देश का सिस्टम इतना ख़राब है । यहाँ पढाई का कोई  मोल नहीं है । अगर राजशेखर भी जोकि संपादक है बड़े अखबार में वो भी तुझसे मिलना चाहे तो उसको तुमसे टाइम लेना पड़ेगा। तब जाकर तुम उससे मिलोगे । तुमने पढाई से ज्यादा दूसरी चीजों पर ध्यान दिया है और प्रदेश में शिक्षा मंत्री बन गए । तुमने ही तो कहा था कि पढ़-लिख कर सिर्फ सरकारी नौकरी ही मिल सकती है । कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता है। राजनीति का ''आनंद'' , अगर आनंद लेना है तो राजनीति में आ जाओ पढाई लिखाई कि जरुरत ही नहीं है । सिर्फ नेता बन जाओ फिर जो चाहो वो करो । फिर किसी को भी इधर से उधर कर सकते हो और किसी को कही भी बैठा सकते हो । गौरव मेरी बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी और हम दोनों शांत हो गए।
लेकिन सच्चाई यही है कि यह गौरव की बात नहीं है यह एक आम इन्सान की बात है जो पढ़-लिख  मेहनत करके नौकरी पाता है और एक अपराधी चुनाव जीत कर उस इन्सान को ही हड़का देता है यही है राजनीति का ''आनंद''


Posted By KanpurpatrikaSaturday, September 22, 2018

Wednesday, September 12, 2018

आत्महत्या दोहरे चरित्र की!

Filled under:

आत्महत्या दोहरे चरित्र की! 

जकल आत्महत्या के कई सारे मामले नित्य-न्यूज़ पेपर्स की सुर्खियाँ बनते है आत्महत्या के कारण भी बड़े अजीब इत्तेफाक रखते है जैसे 90% अंक लाने वाला छात्र आत्महत्या करता है बेरोजगारी से परेशान 24 वर्षीय छात्रा आत्महत्या करती है एक जिन्दा दिल IPS अधिकारी घरेलु झगडे से परेशान हो आत्महत्या जैसा कदंम उठाता है । ऐसे कई सारे मामले सामने आते है मनोवैज्ञानिक से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर तक अलग अलग पक्ष रखते है लेकिन वास्तविक कारण कौन बताएगा परिवार के लोग ,मित्र या वो खुद जिसने आत्महत्या की है| मेरा मानना है कि गणित का अध्यापक गणित अच्छी तभी पढाता है जब वो उसका कई मर्तबा पढता और पढाता है|पंडित और वैध भी और डॉक्टर भी जब प्रतिदिन उस प्रोफेसन में रहते हुए सामना करते है तो उन्हें नकारात्मक व् सकारात्मक कहानी दोनों पता होती है ऐसे ही अगर या करने वाला बच जाये तो वह यह बता सकता है की क्या सोच कर उसने यह कदम उठाया ।
विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 30 करोड़ लोग पूरी दुनिया में अवसाद से पीड़ित है और 18% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहे है । पहले आर्थिक तंगी आत्महत्या का प्रमुख कारण होता था लेकिन आज के समय मे युवा वर्ग जो समझदार है तरक्की कर रहा है और जिसके लिए लोग तरसते है वो सब भी उसके पास होता है लेकिन फिर भी वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहें हैं,कुछ मोटिवेशनल स्पीकर जिन्होंने लोगों की राह आसान की मंच से स्पीच दी  । एक दिन अवसाद ने उनको भी घेर लिया और आत्महत्या जैसा कदम उन्होंने भी उठाया ऐसा क्यों? शायद यह सवाल ही है जो आत्महत्या करने वाले लोंगो के साथ ही दफ़न हो जाता है ।

एक 24 वर्षीय युवती प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होती है और उसे बेरोजगारी का डर सताता है और वह दीवार पर सुसाइड नोट लिखकर फंदे पर झूल जाती है क्या ऐसा हो सकता है कि आप 24 साल की उम्र में हार मान लें | एक आदिवाशी परिवार की आर्थिक तंगी के हालात ऐसे थे की लड़के की दादी ने आत्महत्या कर ली और कुछ दिनों बाद उसके चाचा ने भी और कुछ महीनो बाद परिवार और दो सदस्यों ने आत्महत्या की राह चुनी उस लड़के के परिवार के चार लोग आर्थिक तंगी के चलते हार मानकर जीवन लीला समाप्त कर चुके थे लड़के के माता-पिता कुछ चीज़ो को बेच कर उस लड़के को पढ़ाते है लड़का आईएस बनना चाहता था और वो दो दर्जन से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षाओं में एक, डेढ़ और दो नंबर से फेल हो जाता था लेकिन हार नहीं मानी और लड़ा उस जीवन से जो उसे जीने  के लिए मिला था और उसने जिया और ग्राम सेवक की नौकरी में चयनित भी हुआ |अपने माता-पिता जो बूढ़े हो चुके थे उनका सहारा बना ऐसा सख्स जो अपने ही परिवार में आर्थिक तंगी से चार-चार आत्महत्याएं देख चुका हो और खुद उन हालातों से संघर्ष करते हुयें आगे बढ़ा और दो दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं में असफल भी हुआ उसके लिए तो प्रतिदिन आत्महत्या के द्वार खुले थे लेकिन उसने अपने जीवन को चुना पर निराश नहीं हुआ |
एक मुख्य कारण कि ईस्वर ने हमें जो दिया जीने के लिए और हमने फोकस किया उस पर जो हमें मिला नहीं ।आज दुनिया भर में 33% से ज्यादा लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है और 81% लोग अपने कार्य क्षेत्र को और निजी जिन्दगी के बीच संतुलन न बैठा पाने के कारण परेशान है दूसरा मुख्य कारण आत्महत्या करने का जो प्रमुखता से उभर कर आता है और लोग उस पर ध्यान नहीं दे पाते वह उनका लाइफ स्टाइल और उनका वास्तविक स्टाइल कहने का अर्थ मनुष्य का दोहरा चरित्र जिसमे वो जीता है और वही चरित्र एक दिन उनकी जान ले लेता है और वास्तविक चरित्र की हत्या कर देता है|

जैसे जैसे हम विकास कर रहे है वैसे ही हम एक कदम विनाश की और बड़ा रहे है | आज इंटरनेट पर हर तरह की सामग्री उपलब्ध है जैसे आत्महत्या करना बम्ब  बनाना खाने से लेकर आध्यात्मिक ज्ञान तक |  आज का युवा का दिमाग सिर्फ गलत दिशा की और पहले कदम बढ़ाता है | साथ ही आज कल का जीवन एकाकी हो गया है एकल परिवार प्रथा फ्लैट्स का रहन सहन और दुसरो से बेहतर दिखने की लालसा हमें अपनों से और अपने आप से दूऱ करती जा रही है क्योंकि दिखावे में हम अपने वास्तविक चरित्र को भूल जाते है | अच्छे कपडे पहनना  अच्छी जगहों पर घूमना और बच्चो को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना , कही न कही हमें आर्थिक रूप से परेशां करने लगता है और हम अपने साथ हो रही समस्याओ में यु घिरते जाते है की हम अपनों से दूऱ हो जाते है |
घर में दोनों पति और पत्नी का नौकरी करना और व्यस्त  दिनचर्या, एक ही घर में रहते हुए हम हफ्ते में एक आध बार ही बातचीत कर पाते है | कहने को तो हमारे पास सबकुछ होता है दिखने में भी सब कुछ लेकिन वो सब काल्पनिक होता है और जब लोगो को उसके वास्तविक चरित्र के बारे में पता चलता है तो वो टूट जाता है | असल वो जो बाहर की लाइफ स्टाइल में लोगो को दिखा रहा था वो तो वो था ही नहीं वो तो कोई और ही था | 
एक आई पी इस अधिकारी जो तेज़ तर्रार है दुसरो के लिए मिलनसार भी है जिसके नीचें  काम करने वाले कर्मचारी उसकी एक आवाज़ में जी सॉब करके हाज़िर हो जाते है, जहा सड़क या चौराहे पर खड़े हो वह रुतबा  और मान सम्मान भी मिल रहा है और अपने कार्यो के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियो से भी सम्मान पाता है | एक चरित्र तो यह हो गया दूसरा चरित्र की जब वह घर जाता है तो निजी जिंदगी जिसमे पारिवारिक झगडे और अशांति घर में लड़ाई और कलह !जहा बाहर लोग उसकी बात सुनते है वही घर पर उसकी कोई  नहीं सुनता |  जहा वो पला पढ़ा बड़ा हुआ जिन्होंने उसे यहाँ तक पहुंचाया उस माँ से बात नहीं कर सकता ,लेकिन दूसरे चरित्र में वो दुसरो से हंस  कर और अच्छे से मिलता है ऐसा इंसान जब अकेले बैठता है तब सोचता है की मैं हु क्या और अपने दोनों चरित्र को देखता है और सोचता है और काल्पनिक चरित्र उस पर हावी होता है और नकारात्मकता उसे घेर लेती है और वह नकारात्मकता के गहरे सागर में डूबने लगता है लाख कोशिशों के बाद भी वह बाहर नहीं निकल पाता नकारात्मकता के सागर में उसे दूर दूर तक कोई अपनां नहीं दिखाई देता जो उसे उस सागर से बाहर  निकल ले और धीरे धीरे उस नकारत्मकता के सागर की गहराई में वो ऐसे डूब जाता है की अगर वो अब खुद भी चाहे तो बाहर  नहीं  निकल सकता | ऑफिस से लेकर घर तक और सड़क से लेकर अपने दिल तक उसे हर जगह नकारात्मकता ही दिखाई देती है और एक दिन वह व्यक्ति अपने दोहरे चरित्र की हत्या कर देता है जिसे लोग आत्महत्या कहते है|

दुनिया भर में एक तिहाई लोग हाइपर टेंशन की बीमारी से ग्रसित है दस करोड़ लोग अनिद्रा की बीमारी के कारन परेशां है कारन जिंदगी की भाग दौड़ में हम दुसरो से बेहतर कैसे दिखे और कैसे उनसे आगे निकल सके और कैसे अपने अधूरे शौक पुरे करे और उच्च वर्ग में शामिल हो जाए | यही सोच उन्हें रात दिन  सताती है और उन्हें सोने नहीं देती और इसी उधेड़ बुन  में सुबह हो जाती है  और एक असफलता  सपनो को तोड़ देती है और वो अपने को हारा  हुआ मान लेता है | लोग उस  पर हसेंगे ये सोचकर वो अपने को अकेला कर लेता है|  ये वही लोग और समाज होता है जो किसी के सुख दुःख में पूछता नहीं है और इंसान उस समाज और लोगो की सोच कर अकेला समझने लगता है | 
वर्तमान में सोशल मीडिया में फोटो शेयरिंग की तस्वीरें अपने को बेहतर दिखाने  की होड़ मची है विभिन्न स्थानों पर घूमने जाना और  फोटो शेयर  करना और दुसरो को दिखाना की देखो हम अपनी इस काल्पनिक दुनिया में कैसे एंजोय कर रहे है | जबकि वो एक छोटे से घर में रह रहे होते है उनकी असल जिंदगी जैसे वो सोशल मीडिया में दिखा रहे थे वैसी  नहीं थी|  कही घूमने जाने के लिए पैसे उधार  लेते है या एडवांस या फिर कहीं से और इंतज़ाम करतें  है और बाद में आर्थिक संकट उन्हें घेर लेता है | यह संकट पति पत्नी की कई बार झगड़े की वजह भी बन जाता है और एकाकी जीवन पहले से ही जी रहे थे अब कौन हो जिससे हम अपनी बाते कहे क्योंकि सोशल मीडिया में तो हम आज भी राजा दिखा रहे है लेकिन असल में वैसा है ही नहीं | 
मोबाइल फ़ोन लेकर एक ही घर में चार लोग घंटो अकेले बैठे रहते है एक ही घर में रहते हुए भी सभी वहां  पर नहीं होते, सभी अपनी काल्पनिक दुनिया में गोते लगा रहे होते है  और जब हकीकत उन्हें दिखती है तो डिप्रेशन उन्हें घेर लेता है | और जब उनके खर्चे और आवश्यकताएं पूरी नहीं होती तो आत्महत्या दोहरे चरित्र की !
अत्महत्या या डिप्रेशन से कैसे बचा जाए ये बड़ा सवाल है नित्य ऐसे मामले प्रकाश में आ रहे है जहा छोटे से बच्चे माँ की डांट  से और बड़े आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर रहे है | 
डिप्रेशन हमें घेर न पाए इसके लिए हमें हमेशा एक ऐसे दोस्त को अपने पास रख़ना  चाहिए जिससे हम अपनेँ  दिल की हर एक बात कर सके और बता सके |
डिप्रेशन से बचने का सबसे सफल काम यह है की हम जब भी किसी को कुछ कह न पाए जैसे अपने से बड़े आपको डांटते है तो आप चुपचाप सुन ते है लेकिन कुछ कह नहीं सकते गुस्सा ज्यादा आता है लेकिन दिखा नहीं सकते और कही न कही हम अंदर ही अंदर सोचने लगते है  | 
ऐसे में सबसें सफल इलाज है जो हम खुद कर सकते है की हम एक कागज़ और पेन ले और अपने  से बड़ो से जो भी कुछ कह सकना चाहते थे सब पूरा गुस्सा उस पर लिख डालिये सच  मानिये आपका गुस्सा और डिप्रेशन आधा हो जायेगा और उस कागज़ को जला दीजिये अपनी हर एक बात को ईश्वर से से  बता दीजिये | 
कभी भी अपने आप को अकेला  न होने दे न ही ऐसा सोचे की आप अकेले है और आप की कोई नहीं सुनता क्योंकि बात करने से ही बात बनती है | 
क्योंकि जब हम ऐसा सोचते है तो नकारात्मक ऊर्जा हमें घेर लेती है और हम अवसाद में चले जाते है  | जिंदगी को हमेशा जीत कर जिए और मौत को हमेशा हराकर  मारें | 
क्योंकि जो चला जाता है उसे अपनों के खोने का खुद मालूम ही नहीं होता दुःख तो उसे होता है जिसका अपना  चला जाता है उस पिता से पूछो जिसके कंधे पर बेटे की अर्थी निकलती है उस माँ से पूछो जिस बेटे को उसने पाल पोष  कर बड़ा किया और वो उसकी आँखों के सामने ही चला गया | अब  उनके पास जीने के लिए बचा ही क्या जिसको लेकर घर बनाया सपने संजोये अब वो हो नहीं तोई क्या जीए | 
ज़िन्दगी मिली है जीने को 
तू क्यों चुनता है मौत को 
जिस माँ ने जन्म दिया 
आगे बडकर सपने उसके पुरे करने को 
क्यों छोड़ गया तू उसको अधमरा जीने को ।

यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट जरूर करे।
आपका
पंडित आशीष त्रिपाठी ।

Posted By KanpurpatrikaWednesday, September 12, 2018

Friday, September 7, 2018

Filled under:

कल श्रावण कृष्‍ण चौदस है। सभी क्‍लेष दूर होना और इच्‍छापुर्ती क लिए महत्‍वपूर्ण मंत्र दे रहा हूँ ।
ओम नमो गोयम्‍मस्‍स अख्खिन महाण्‍णस्‍स लब्‍धी संपन्‍नस्‍स भगवान भाष्‍करीं -हीं श्रीं वृध्‍दय वृध्‍दय अणय अणय मम सर्व अरिष्‍ट निवारय निवारय मम सर्व कार्य सिध्‍दम कुरु कुरु स्‍वाहा । ओम श्री गौतम स्‍वामी नमो नम:
यह मंत्र कल शुरु करे और जब आप को समय मिले तब इसका पठण किजीये ।

विजयानंद पाटील, माताराणी कामाख्‍यादेवी योनीपूजक भक्‍त, अर्धनारीनटश्‍वर स्‍वरुप, श्री वेताळमहाराज सुपुत्र, श्रीमद उच्छिष्‍ठमहागणपतीतथा श्रीमद उच्छिष्‍ठचांडालिनी मातंगी, सभी देव देवता पीरपैगंबर हजरतसिध्‍द

Posted By KanpurpatrikaFriday, September 07, 2018

Tuesday, September 4, 2018

शमशान की धरती से पूछो

Filled under:

।। शमशान की धरती से पूछो ।।

दिल में कितना दर्द छुपा है मुस्कुराते हुए चेहरे से पूछो
सुकून की रोटी कैसे खाता मजदूर उसके बाजू से पूछो
बेटियों को कैसे पाला है उस मां के हाथों से पूछो कैसे बेदर्द नजरें नोचती है जिस्म को अकेले में उस लड़की से पूछो
कैसे बिना दाग  विदा किया लड़की को उस बाप के कलेजे से पूछो
किसको गिराते हैं और किसको उठाते हैं यह समाज के ठेकेदारों से सीखो
कैसे चलते चलते  जिंदगी राख बनती है उस शमशान की धरती से पूछो ।

Posted By KanpurpatrikaTuesday, September 04, 2018

Sunday, September 2, 2018

RAHU KETU and MUSLIM CONNECTION

Filled under:

RAHU KETU and MUSLIM CONNECTION

Today I will show an interesting role of Rahu and Ketu with muslim connection.

First of alI  I will give you some examples

1.  Shri Raj kapur was in madly love with Nargis ji. Raj kapur has Cancer lagna with Moon and Rahu in it. Ketu is in 7th house.  (Moon with Rahu and Ketu in 7th created madly  love with muslim co-star.)

2.  Sharmila Tagore married to famous cricketer Mansur ali khan Pataudi. Sharmila ji is Leo lagna and lord of 7th house Saturn is with close Ketu. (Strong connection of Ketu with 7th lord created this inter religeon marriage )

3.  Amrita singh married to Saif ali khan. She has Moon Rahu close connection.

4. Film artist Sanjay dutt got 2nd marriage with muslim girl. Rahu in 11th house aspecting 7th house. ( 11th house Rahu or Ketu creates long term relation with muslim girl or boy )

5  Film producer Mahesh Bhatt married 2 time. Both time muslim wives. Ketu in 11th aspecting 7th house too ( Ketu in 11th creates long term relation with Muslim boy or girl.)

6. Famous TV  artist Ratna Pathak married to Nasiruddin Shah. She has Saturn Venus Ketu in 7th house

7. Film artist Hritik Roshan married to the daughter of Sanjay khan. His 7th lord Mercury is in close conjuction of Rahu ( muslim connection )

8. Film artist Aditya pancholi married to zarina wahab. Rahu in his 7th house ! Muslim connection.

9. Film artist Ayesha Takia married with a muslim guy. Moon Rahu close so muslim connection.

10. Congress MP Manoj Tiwari married with muslim girl. Moon with Rahu and 7th lord with Ketu !

11. Famous old Musician Anil Biswas had a muslim wife. His 7th lord Mars in close conjuction with Ketu !

These are some famous celebrity examples. Now I will show you some personal experience of my practice.

In past I was used to visit Surat for consultation. Once a 30 year old girl came to me to show her chart. She was married. Her lagna was 7 degree Líbra with close Rahu at 8 degree and ketu in 7th.  I just asked her any Muslim bf in your life today or in past ? She was shocked. She accepted that she had a muslim bf and that bf was the real father of her present child. But nobody knows this secret.

My one friend has Vírgo lagna 21 degree with  Ketu  at 22 degree and Rahu in 7th.  He was in love with a muslim girl  for 4 years but could not marry due to parents objection.

One day one client had come to show the chart of his daughter. He was worried for her. The girl had Moon Ketu in 7th house in close conjuction. I just asked whether anybody in her life who is not hindu ? He surprisingly answered that she was in love with her office colleague  who was muslim. Though he is a gentleman but we cant accept this marriage.  I told that this is her destiny or past life connection. I dont think she will obey your advice. She is in madly love.... And after 2 month I heard that she married to that guy !!

I have more than 20 such practicle examples where Rahu Ketu has played a big role to bring muslim in  contact, may be as bf, gf wife or husband through 7th house, 11th house or  Moon connection. (11th house is for long term relationship  and Live In relation.)

I never claim that Rahu Ketu are playing this role in all charts or always create muslim connection. If not muslim then there remains some controversy in the marriage. Sometime  parents don't accept the Boy or Girl due to inter caste   and couple have no option except court marriage or to escape from the home and marry !!

What i have written here is my observation. Ratio of such incidents may be at very low percentage in society,  but whereever such different religeon or intercaste  love connections are developed Rahu or Ketu is always present in 7th or 11th  !!!

Ashwin Rawal  31.08.2018

Posted By KanpurpatrikaSunday, September 02, 2018

Friday, August 31, 2018

माँ तुम अब भी रोती हो

Filled under:

माँ तुम अब भी रोती हो
क्यों दुःखो के बोझ ढोती हो ।
वो कड़वी यादे और वो वादे तुम्हे सताते है
पता है मुझे तुम आज भी रोती हो
जब तुम्हे खाना नही मिलता है
तुम तब भी रोती थी जब उसको खाना नही मिलता था।
माँ तुम ऐसी क्यों हो
आज भी देती आशीष हो
जबकि वो आज भी इस रिश्ते को ढोता है
उसकी नज़र में तुम मां नही बोझ हो
पता नही इस बात का तुमको कब बोध हो।
माँ  कभी कुमाता भी नही होती
फिर ये पूत कपूत क्यों बन जाते है
जबकि उसी कोख से जन्मी पुत्री भी कुपुत्री न बनी।
क्यों माँ क्यों माँ बता न माँ।
पंडित आशीष त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaFriday, August 31, 2018

Friday, August 17, 2018

जिसको गले लगा न सके

Filled under:

जिसको गले लगा न सके
वो मित्र तो न थी लेकिन शत्रु सी थी
वो हमसफर तो न थी लेकिन मंज़िल थी
चेहरे में हंसी तो थी लेकिन दिल में ख़ुशी न थी
वो सामने तो थी पर गले न लगा सके
वो आती तो सबके सामने लेकिन दिखती न थी
उसको गले लगाया तो लोग बिछड़ जाते ।
लोगो को गले लगाते तो उसको बुरा लगता ।
इधर ज़िन्दगी थी औऱ उधर मौत
लेकिन मैं ज़िन्दगी को गले लगा न सका ।

Posted By KanpurpatrikaFriday, August 17, 2018

Monday, August 6, 2018

ये लोकतंत्र ये कौन सा मंत्र है

Filled under:

ये लोकतंत्र ये कौन सा मंत्र है
यहाँ अपराधी नेता है और नेता अपराधी
यहाँ बोलने का हक सबको है
पर बोलता कौन है
मुजफ्फर नगर और देवरिया बस दो बदनाम है
और पता नही कितने छुपे हुए कितने नाम है
समाज सेवी है मवेशी जो बेचते है इंसानो को
गरीब और लाचारों को
जो भागे थे घर से बचाने को इज़्ज़त
उनका ही सौदा करके किया है इंसानियत को बेइज़्ज़त।
सच बताना क्या तुमने माँ का दूध पिया था
क्या एक पल भी उसको जिया था
लेकिन तुम क्या बताओगे तुम उस दूध को भी बेच खाओगे।
गलती उसकी ही थी जिसने तुम्हे जन्म दिया
तुमने उसके दिल मे ही अनगिनत जख्म दिया।
इज़्ज़त शोहरत पैसे के लिए ही तुम ऐसा करते हो
बताओ क्या तुम अपनी बहन और बेटी बेचोगे
हम सब खरीदेंगे पड़ा लिखा उसे इंसान बनाएंगे
और एक दिन उसकी कलम से ही तुम्हे फांसी दिलवाएंगे ।

Posted By KanpurpatrikaMonday, August 06, 2018

Friday, August 3, 2018

साहित्य में सेंध लगाता सोशल मीडिया ! रेखा श्रीवास्तव

Filled under:

साहित्य में सेंध लगाता सोशल मीडिया !

कल के स्टेटस पर सलिल वर्मा भाई ने कहा कि इस पर तो आलेख आना चाहिए तो प्रस्तुत है :--सोशल मीडिया जिसने हर उम्र के लोगों को अपना दीवाना बना रखा है , वह सिर्फ लोगों को ही नहीं बल्कि साहित्य में भी सेंध लगा रहा है।  इसने मानवीय संबंधो , लेखन , साहित्य सृजन और पठन पाठन को बुरी तरह से प्रभावित का रखा है।  हमारे आपसी सम्बन्ध घर परिवार , पति पत्नी , माँ बच्चों के मध्य सीमित हो गए हैं।  किसी को किसी की चिंता  नहीं है और इसी लिए मानवीय संबंध ख़त्म होते चले जा रहे हैं।  किताबें लिखने के बजाय , पूरी कविता के बजाय चार लाइनें लिखी और वाल पर चेप दी और फिर शुरू होता है लाइक और कमेंट को गिनने का सिलसिला और कमेंट के उत्तर देने का सिलसिला।  वैसे इन कमेंट और लाइक की कोई अहमियत नहीं होती है क्योंकि ये तो लेन देन वाला व्यवहार हो  चु का है।  तू मुझे सराहे और मैं तुझे भी होता है।  लेकिन इसमें स्थायित्व फिर भी  नहीं होता है।  लिखा हुआ चाहे जितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो , समय के साथ पोस्ट के ढेर में नीचे चला जाता है और फिर न लिखने वाले को याद रहता है और न पढ़ने वाले को। इसके अपवाद भी है बल्कि वास्तव में जिस कलम में दम  है और तन्मयता से रचा हुआ साहित्य चाहे ब्लॉग पर हो या सोशल मीडिया पर या प्रिंट मीडिया पर सब सराहे जाते हैं।  फिर भी मैं उन गंभीर लेखों की बात करूंगी कि जितना सृजन वे कर सकते हैं ,उतना कर नहीं  पाते हैं क्योंकि इस फेसबुक और ट्विटर पर सबकी नजर रहती है।

                  वास्तव में अगर एक बार फेसबुक खोलकर बैठ गए तो गृहणी भी सारे काम पड़े रहें उसी में उलझ कर रह जाती है।  एक के बाद एक स्टेटस वो तो क्रम ख़त्म होता ही नहीं है , समय चलता रहता है और काम पड़ा रहे वैसे मैं भी इसका अपवाद नहीं हूँ। जन्मदिन चाहे मित्र का हो या फिर उनके बेटे बेटी पोते पोती किसी का भी हो शुभकामनाएं देना तो बनता है न , किसी किसी दिन तो 25 लोगों का जन्मदिन पड़  जाता है और फिर आप उन सब को सिर्फ एक लाइन में शुभकामनाएं भेजिए कुल हो गई 25 लाइने  - इतने में तो एक लघुकथा या एक कविता का सृजन हो जाता।  इस समय अपनी शक्ति का उपयोग आप किसी भी तरह से कर सकते हैं। मिली हुई शुभकामनाओं की बाकायदा गणना की जाती हैं।  मैंने देखा भी है और सुना भी है।

                       कितना समय हम सोशल मीडिया व्यतीत करते है और उससे कुछ ज्ञान और कुछ अच्छा पढ़ने को मिलता है लेकिन वह मात्र 5 या 10 प्रतिशत होता है।  उससे अपना लेखन तो नहीं हो जाता है।  विचार ग्रहण कीजिये और फिर अपनी कलम चलाइये।  कहीं भी डालिये अपने ब्लॉग पर , डायरी में , या सोशल मीडिया पर कम से कम लिखना तो सार्थक होगा।  लेकिन एक बात यह सत्य है कि रचनात्मकता के लिए इस सोशल मीडिया से विमुख होना ही पड़ेगा।  ये मेरी अपनी सोच है , कुछ लोग साथ साथ सब कुछ कर सकते हैं लेकिन मैं नहीं कर सकती।  मुझे याद है कि रश्मि रविजा ने जब अपनी उपन्यास "कांच के शामियाने " लिखी थी तो फेसबुक से काफी दिन बहुत दूर रही थी।  यही काम वंदना अवस्थी दुबे ने भी किया था।  कोई सृजन इतना आसान नहीं है कि इधर उधर घूमते रहें और फिर भी सृजन हो जाए।  गाहे  बगाहे झाँक  लिया वह बात और है।  मेरा अपना अनुभव् यही कहता है कि भले ही आपके पास सामग्री तैयार रखी हो लेकिन उसको सम्पादित करते पुस्तकाकार लाने में पूर्ण समर्पण से काम करना पड़ेगा।  मेरे पास भी अपनी दो कविता संग्रह और एक लघुकथा संग्रह की सामग्री संचित है लेकिन उसको सम्पादित करने के लिए समय नहीं दे पा रही हूँ।  वैसे मैं भी बहुत ज्यादा समय नहीं देती हूँ लेकिन जब तक इस के व्यामोह से मुक्त नहीं होंगे कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आने वाला है।  तो कुल मिला कर ये सोशल मीडिया साहित्य सृजन और पठन पाठन में सेंध लगाने का काम कर रहा है और इसके साथ ही व्यक्ति की सामाजिकता को भी प्रभावित कर रहा है। 

                             सावधान होने की जरूरत है और सृजन की दिशा तभी खुलेगी जब इससे दूरी बना ली जाय।

रेखा श्रीवास्तव -- कानपुर

Posted By KanpurpatrikaFriday, August 03, 2018

Saturday, July 28, 2018

ऐ ज़िन्दगी बता न ।

Filled under:

ऐ ज़िन्दगी तू क्या है बता न
कभी तेज़ तो कभी धीमी चलती है
तेरे साथ मस्त कैसे चलू बता न
दो चार मुलाकातों ने हमराह बना दिया
जिसने जन्म दिया उसे बेगाना बना दिया
क्यों ऐ ज़िन्दगी बता न
लोग कहते है कि प्यार अँधा होता है
लेकिन फिर क्यों प्यार देख कर होता है
क्यों ऐ जिंदगी बात न
ऊँगली पकड़ कर जिसने चलना सिखाया
आज उसी को उंगली दिखा कर शांत करा दिया
क्यों ऐ जिंदगी बता न

Posted By KanpurpatrikaSaturday, July 28, 2018

Friday, July 13, 2018

माँ तुम हो क्या और तेरे बिन मैं हु क्या

Filled under:

ज़िन्दगी कुछ धीमी सी है
सांसे भी थमी सी है
आज दिन भी उदास सा है
वो मन्नते मुरादे और वादे
ये सब आज क्यों याद है आते
तुम हो तो ज़िन्दगी ज़न्नत सी लगती है माँ
पर तेरे बिन ये मंदिर की मन्नत ही लगती है
तेरे बिन उदास सा हूँ
जज्बात तो है लेकिन खामोश सा हूं
तुम्हारी वो सीख हिम्मत तो देती थी
पर तेरे बिना माँ ये दुनिया पैर खीच लेती है
इस दुनियां की भीड़ में अपने तो सारे है
लेकिन इन सब का साथ आसमान के तारे हैं
इनका मिलना जुलना अच्छा तो लगता हैं
पर तुम बिन सब बेगाना सा लगता हैं
तेरी वो डांट और छिपी हुई मुस्कराहट अच्छी लगती थी
पर ये दुनिया वालो की मुस्कराहट और छिपी हुई चाल साज़िश सी लगती है
मां तेरा होना ही सब कुछ था
पर सब कुछ तो है पर तु नही है
तेरा वो कड़कती धूप में पैदल चलना
मुझे गोद मे उठा कर तेरा न थकना
याद आता है
माँ आज फिर तेरा साथ याद आता है
माँ तुम हो क्या और तेरे बिन मैं हु क्या बता
क्या तुम्हे नही पता था
छोड़ दिया है तुमने तोड़ दिया है तुमने
अच्छा ये बता वापस आएगी न
डांट के मुस्कराओगी न
बता न माँ बता न माँ

Posted By KanpurpatrikaFriday, July 13, 2018