" निर्माण नए भारत वर्ष का "
अब हमको भी हो गया है ज्ञान
अब हम भी करेंगे ज्ञान का दान
और संस्कारित करेंगे उन बीजों को
जो करेंगे निर्माण नए भारत वर्ष का
और देंगे ज्ञान की छाव सबको
क्योंकि मैं हु " संस्कार शाला "
मैं ही हु देव वाणी मैं ही हु अमृत वाणी
मुझमे ही है १०० अरब शब्दों का संग्रह
मैं ही हु संस्कृत मैं ही हु संस्कारित
न ही था न ही होगा मुझे अभिमान
क्योंकि मैं ही हु ज्ञान की जन्म दाता
मैं हु संस्कार शाला क्योंकि मिला है मुझे " आशीष " देवो से
आओ अब करे नए भारत का निर्माण /
आशीष त्रिपाठी
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