WHO IS
GOD कौन है भगवान ?
जब भी
हम भगवान की बात करते है है तो बचपन से देखी गई सभी भगवान की तस्वीर दिमाग में घूमने लगती है और ये जवाब आता है की हम
भगवान को मानते तो है लेकिन जानते नहीं है जानते इसलिए नहीं है की क्योंकि आज तक हमने भगवान के वास्तविक स्वरुप को देखा ही नहीं | हा चित्रो
के माध्यम से और मूर्तियों और चमत्कारों को काफी सुने देखे
लेकिन ये नहीं मालूम है की ये
करता कौन है और कैसे है ?
इसका जवाब आज तक नहीं
मिला ?
फिर
ईश्वर और भगवान में अन्तर क्या है
क्या ईश्वर का दूसरा रूप भगवान है ?
क्या ईश्वर
एक है उसके अवतार अलग अलग है ?
क्या
उस अवतार को ही भगवान कहा जाता है ?
आखिर में भगवान जो
ईश्वर है के अवतरित रूप है को हम भगवान मान लेते है, जैसे राम और श्री कृष्णा जिसको पड़ा है किताबो में और देखा है ऐतिहासिक धरोहर में | और आज भी उनसे
सम्बंधित चीज़े मिल जाती है /
तो हमे भगवान के स्वरुप पर विश्वास करना होगा अब
सवाल ये है की भगवान कौन हो सकता है अर्थात भगवान के अन्दर वो कौन से तत्व या गुण जो उन्हे ईश्वर से प्राप्त होते है / जो उन्हे अवतारी पुरुष ( भगवान ) बना देते है ?
भगवान शब्द भाग+वान और भाग्य +वान से मिलकर बना है जिसका अर्थ भाग+वान अर्थात ईश्वर के भाग
(तत्वों को धारण करने वाला और दूसरा भाग्य +वान जो शुभता को धारण करने
वाला है अर्थ दोनों का एक ही आता है /
पहला
पञ्च तत्वों से बने भगवान कहते ही उसे हैं जो भूमि -गगन -वायु -अग्नि -नीर (भ
+ग +व+आ +न )(I की
मात्रा ,आ का
डंडा से अग्नि ,न से
नीर ,ग से
गगन ,भ से
भूमि ) को नियंत्रित करता है।
या वो
गुण भाग जो ईश्वर ने उस अवतारी पुरुष
को दिए कौन से है वो गुण जो ईश्वर ने उस अवतारी पुरुष को दिए
वो 6 गुण
है ०१:-यश ०२:-कर्म ०३ धैर्य ०४:- ज्ञान ०५:-सौन्दर्य ०६:-प्रेम
ये
गुण या तत्व उस अवतारी पुरुष में बराबर मात्रा में होते है अर्थात 18 -18 प्रतिशत (18+18=36,3+6 =9)और(18=1+8=9) 18 गुणा 6 =108
108 कैसे वो ऐसे की 12 राशियाँ और 09 ग्रह =108 जो है
और सिद्ध हो चुका है | और हम
यह भी जानते है की अगर कुंडली में 18 गुण मिल जाते है तो | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली
में ९ गृह यदि शुभ भाव में स्थित हो तो वह जातक विलक्षण प्रतिभा का धनी होगा और
भगवान श्री कृष्ण श्री राम जी और इनके साथ
यदि अन्य अवतारों की बात की जाए तो यह सभी अपने आप में विलक्षण प्रतिभा के धनि तो
थे ही साथ ही प्रेम सौहार्द के साथ ज्ञान का भी अनुपम उदहारण सभी ने अपने जीवन में दिया |
अर्थात
भगवान 6 तत्वों या गुणों से परिपूर्ण है जो श्रेष्ठ है जो ईश्वर है
दूसरे शब्दों में जो सभी तत्वों से परिपूर्ण है
वो
भगवान है /
जैसे
हमारे सनातन धर्म में भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्णा जिन्होने अपने कर्म
प्रेम धैर्य ज्ञान सौन्दर्य से समाज में एक नया सन्देश दिया |
इसलिए
भगवान कहलाए अर्थात उस परम शक्ति के अवतार को भगवान कहते है |
अगर
कोई यह भी कहता है की हमने तो भगवान देखे ही नहीं और जो दिखता नहीं उसको विज्ञान भी
नहीं मानता तो उन सब के लिए यह उदहारण ही काफी है की जिस तरह दस मंजिल के मकान की छत
पर रखे पानी के टैंक में पानी चढ़ाने के लिए किसी प्रकार की मोटर की आवश्यकता होती
है तब ही वह पानी उस टैंक तक पहली मंजिल से १० मंजिल की छत तक पहुच पायेगा | इसका कारण
विज्ञान का गुरुत्वा कर्षण का नियम होता है | लेकिन वही विज्ञान यह नहीं बता पाता
की नारियल का पेड़ इतनी ऊपर होते हुए भी उस नारियल के अन्दर पानी कैसे पहुच जाता है
वह न कोई मोटर न गुरुत्वाकर्षण का नियम काम करता है |
यह सिर्फ
अनुभव किया जा सकता है अर्थात उस ईश्वर उस सर्वशक्तिमान के आभा मंडल को हम कई
प्रकार से अनुभव कर सकते है |
ये
मेरे अपने निजी विचार है इससे किसी का भी सहमत होना जरुरी नहीं है न ही किसी की
भावनाओ को ठेस पहुचाना मेरा मकसद है /
पंडित
आशीष त्रिपाठी
ज्योतिषाचार्य