सास बहु और साथ !
सास बहु और साथ तीन ऐसे शब्द है जो साथ में प्रेम पूर्वक कम ही देखे जाते है / जब भी किसी लड़की का रिश्ता उसके माँ बाप तय करते है तो भी उनकी पहली प्राथमिकता यही होती ही की बेटी की सास कैसी है कही वो तेज़ तर्रार तो नहीं है / और लडकियों की भी यही जिज्ञासा रहती है की मेरी सास टिपिकल सास न हो जो बात बात पर ताने दे और मेरा जीना हराम कर दे / और ये डर हर लड़की के मन मष्तिक में घर किये रहता है / क्यों पैदा होता है ये डर और कौन पैदा करता है ये डर / इसका जवाब भी हर कोई नहीं जनता है / लेकिन यही डर लिए हर लड़की अपने ससुराल में पाव रखती है और सास की कही गई एक एक बात में उसको वही टिपिकल सास नज़र आती है / और धीरे धीरे दोनों के बीच का गैप बढता जाता है / कुछ मामलो मे यही डर घरेलु हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना के झूठे केस के रूप में समाज के सामने आ जाता है / जबकि यही बात घर की चार दिवारी के अन्दर भी सुलझाई जा सकती थी /
एक ऐसे ही मामले में सपना शादी के तीन महीनो बाद ही घर आ गई और उसने अपने सास ससुर नन्द और पति के खिलाफ दहेज़ की मांग और घरेलु हिंसा में मुकदमा लिखा दिया / सपना ने बताया की वो अक्सर अपनी सहलियो से सुना करती थी की उनकी सास उनसे कैसा बरताव करती थी कैसे रुखे पन से उनसे बोलती थी तब मैं यही कहा करती थी की मै तुम लोगो की तरह नहीं हु जो अपनी सास से डरु / और शादी के बाद मुझे अपनी सास में अपनी सहेलियों द्वारा बताई गई सास ही दिखाई देती और उनकी हर एक बात बुरी लगती / बात सुबह जल्दी उठने को लेकर शुरू हुई जो एक दिन बड़ी बहस का रूप ले लेती है और बातो ही बातो में मैने सास को कुछ ज्याद ही जवाब दे दिए और सास ने मुझे गाल पर तमाचा जड़ दिया मैने उस दिन दिन भर खाना नहीं खाया और रात में पति विकास से सारी बात बताई और अकेले रहने की जिद करने लगी और उनसे भी मैने गुस्से में कुछ ज्यादा बोल दिया और उन्होने भी मेरी पिटाई कर दी गुस्से में रात में ही मै अपने मायके आ गई बिना किसी को बताय / घर पर मेरी और सबकी मर्ज़ी से उनको सबक सीखने के बात तय हुई और पुलिस में दहेज़ प्रताड़ना और घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज करवाई जिसमे पति,सास ससुर नन्द और देवर का नाम लिखवाकर मुकदमा दर्ज करवा दिया गया / ये बात घर की चार दिवारी के अन्दर भी सुलझाई जा सकती थी लेकिन बात सलाखों के बीच में आने से दो परिवारों के आपसी रिश्ते टूट गए /
क्या शादी से पहले किसी बात पर सपना की माँ ने उसे तमाचा नहीं मारा होगा ,क्या उसके भाई ने कभी उससे गुस्से में नहीं बोला होगा लेकिन तब सपना ने कुछ क्यों नहीं किया जब ससुराल में सास और पति ने मारा तो घरेलू हिंसा और जब मायके में मारे तो प्यार से मारा शायद आज कल की बहुए ससुराल को कभी अपना घर मान ही नहीं पाती है , मानती तब है जब वो पति के साथ अकेले रहने लगती है /
इसमे अगर दूसरा पछ भी देखा जाय की सास की भी गलतिया होती है ,सास भी जो एक बेटी की माँ भी होती है लेकिन वो हमेशा अपनी बहु को बहु ही मानती है न की बेटी / और अपनी सास द्वारा दिए गए अच्छे और बुरे अनुभवों को वो अपनी बहु पर इस्तेमाल जरुर करती है जबकि एसा नहीं होना चाहिए लेकिन ज्यादातर मामलो में यही होता है जो एक बड़ा कारण है सास और बहु के रिश्तो में खटास आने का सास अपनी बेटी को जिन बातो पर छुट देगी उन्ही बातो पर अपनी बहु को बाते सुनना नहीं भूलती क्यों ? क्योंकि सास अपनी बहु के साथ सास के रूप में खेलने के लिए हमेशा तैयार रहती है यही अंतर और सोच दोनों के रिश्तो के बीच दीवार बनकर खड़ा रहता है /
सयुंक परिवार प्रथा में भी सभी एक साथ रहते थे और कभी कदार तो एक बहु को दो से तीन सासों का सामना करना पड़ता था तीन सासे ऐसे की ताई सास चचिया सास और अपनी सास तो होती ही थी लेकिन फिर भी उस समय ऐसे मामले कम ही सामने आते थे कारण सभी मामले घर के अन्दर सुलह और समझौते से सुलझा लिए जाते थे और दूसरा कारण अपने से बड़ो के लिए आदर और सम्मान होता था जो उन्हे अपने माँ बाप से मिलता था /
आज वही संस्कार आदर और सम्मान बच्चो को अपने माँ बाप से नहीं मिल रहा है / कारन पश्चिमी सभ्यता की और बढता रुझान / बच्चे के पैदा होने के बाद के कुछ महीनो के बाद ही और कुछ जगह तो तुरंत ही माँ बच्चो को डब्बा बंद दूध पिलाने लगती है अपन स्तनपान नहीं कराती ,कारण उनका फिगर ख़राब हो जायेगा ऐसा वो सोचती है और बार बार बच्चे पेशाब और मल न करे इसलिय डैपर्स का प्रयोग , तीसरा कारण बच्चे कुछ और बडे हुए तो उन्हे दादी और मम्मी के मुह से कहानी सुनकर सुलाने की जगह टी.वी चैनेल्स पर आने वाले कार्टून दिखा कर सुलाना / जब माँ का स्पर्श बच्चे पर कम होगा तो माँ के शरीर से निकलने वाली ममतामई किरणे बच्चे तक पहुचेंगी ही नहीं और दोनों के बीच सिर्फ रिश्तो का प्यार होगा ना की दिलो का प्यार / और संस्कार जो माँ बाप से आने चाहिये थे वो टी वी चैनेल्स से सीखते है बच्चे /
और बडे होने पर बच्चे का देर तक सोना और उठकर कालेज जाना फिर मस्ती और मौज करना ये ही चलता रहता है और देर रात तक सोना जिसमे ,माँ बाप से कम मिलना हो पाता है जो भी एक बड़ा कारण है संस्कार न आ पाने का / और यही इन बच्चो की जीवन की दिनचर्या में भी शामिल हो जाता है /
लडके और लडकियों दोनों ही आज के समाज में इस तरह ही जी रहे है लेकिन लडको के मामलो में लडके तो शादी के बाद भी वैसे ही जीवन जीते रहते है लेकिन लड़किया जब किसी के घर की बहु बनती है तो उन पर सुबह जल्दी उठाने का दवाब घर का कम करने का दवाब और रोज़ रोज़ घूमने की जगह महीने और हफ्ते में कभी घूमने जाना ये सब उसकी दिल पर गहेरा अघात करते है और वो सास को दूसरी ही निगाहों से देखने लगती है / क्योंकि उसकी जिंदगी में तो देर से उठाना घर का काम न करना और रोज़ रोज़ घूमना फिरना शामिल था लेकिन ये क्या क्या मैं किसी जेल में आ गई हु ऐसी सोच उसे ससुराल को कभी घर मनाने की इज़ाज़त नहीं देती है / साथ ही संस्कारो की कमी दिली रिश्तो को नहीं मानती और उसे ऐसे रिश्ते तोडने में जरा भी दर्द नहीं होता है / और इन वजहों से ही घर में आए दिन सास और बहु के झगडे , पति पर अलग रहने का दवाब पति मान गया तो ठीक नहीं तो लड़ाई बड़ती है और धीरे धीरे वो घरेलु हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना के रूप में सामने आती है /
ऐसे मामलो में मयको वालो का भी बराबर जुर्म होता है जो बराबर अपनी बेटी की बातो को मान लेते है और उसका साथ देते है उसकी इस झूठी लड़ाई में / लड़की ससुराल जाने के बाद भी मायके के नियम पर चलना चाहती है और इन्ही कारणों से समाज में नित्य इसे रिश्ते टूट रहे है /
ये सच है की माँ का दर्ज कभी सास नहीं ले सकती और बेटे का दामाद ! लेकिन क्या हम अपनी सोच में बदलाव नहीं ला सकते है ,यही सोच हमेशा बनी रहती है की वो मेरा दामाद है न की बेटा और वो मेरी सास है मेरी माँ नहीं जो उसकी हर बात मैं मान लू / इन्ही कारणों से आपसी रिश्ते उतने मजबूत नहीं हो पाते है /
अब जरुरत है तो लड़की के मन से उस डरउस समझ और सोच को निकालने की जो शादी से पहले अपने आस पास सुनती है /
सास बड़ी बेहूदा और रुखड़ होती है /
ससुराल कभी तुम्हारा अपना घर नहीं हो सकता /
ससुराल और मायके में रहन सहन का अंतर /
और बड़ी बात की ससुराल की छोटी से छोटी बातो को मायके से बाटना और उसी दिशा निर्देशों का पालन करके ससुराल में चलना ,भी एक बड़ा कारण है रिश्तो के टूटने का /
सास बिना ससुराल सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन एक सास बिना ससुराल वीरान हवेली की तरह होता है एक बीन मूर्ति के मंदिर की तरह होता है , बिन फूलो के बगीचों की तरह होता है
सास जब अपने अनुभवों को अपनी बहु से बताती है और पल पल पर उसका दिशा निर्देश करती है समाज में कैसे एक बहु को रहना होता है वो सिखाती है सास , और जब सास बिना ससुराल होगा तो नित्य नई नई मुश्किलों से सामना होता है बहु का /.लेकिन आज कल की बहूओ में इस बात की ही समझ और संसकारो की कमी है / एक परिवार कई रिश्तो से मिल कर बनता है ठीक वैसे ही जैसे बगीचे में तरह तरह के फूल होते है सिर्फ पति पत्नी और बच्चो से परिवार नहीं बनता है, बनती है तो आज की फॅमिली ! गुलाब को फूलो का राजा कहा जाता है और गुलाब की खुशबु भी बहुत खूब होती है लेकिन गुलाब जब निकलता हैं तो उसकी डंडी (कलम ) से लेकर कली तक पहुचने में काटे ही काटे होते है जो कभी कभी चुभने में लग भी जाते है लेकिन गर गुलाब मिल जाए तो उसको कही भी इस्तेमाल किया जा सकता है / पहले के समय में फोट खीचने के बाद अंधेरे कमरे( डार्क रूम )में निगेटिव धुला जाता था फिर एक प्यारी सी तश्वीर निकल कर आती थी तो सभी खुश हो जाते थे / अगर हम इन्सान की बुराइयों को देखंगे तो उसमे हजारो की जगह लाखो बुराइयों दिखेंगी और अगर हम खूबी देखेंगे तो हमें खुबिया ही दिखेंगी /
ASHISH TRIPATHI
KANPUR
UTTER PRADESH
09307950278
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