Monday, April 27, 2020

ईश्वर का एक गुप्त संदेश डिकोड

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ईश्वर का एक गुप्त संदेश डिकोड
 वर्तमान में पूरा विश्व जिस प्रकार से कोरोना महामारी के चलते ठहर सा गया है उसे कहीं नहीं प्रकृति या ईश्वर द्वारा दिए गए गुप्त संदेश को समझना होगा । वर्तमान के लिए भी यह संदेश उतना ही जरूरी है जितना भविष्य के लिए। 
जिस प्रकार किसी शहर में मंत्री मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री अथवा विशिष्ट जनों के आने पर उस रास्ते की सड़के नई बना दी जाती हैं क्षेत्र या उस रोड पर सफाई व्यवस्था ऐसी कर दी जाती उससे पहले और बाद में भी वैसा नहीं दिखाई देता। बनावटी हरियाली तक सब कुछ विशिष्ट अतिथि के लिए आगमन के लिए किया जाता है । जो कहीं ना कहीं क्षणिक होने के साथ ही बनावटी और दिखावे में किया गया प्रयास होता है  ।
ऐसा ही गंगा नदी का निरीक्षण करने आने वाले दल के आने की सूचना से पहले ही गंगा को पहले से भी निर्मल दिखा दिया जाता है ।लेकिन वास्तव में यह सब इसलिए होता है कि हम सब मिलकर किसी और को नहीं बल्कि अपने आप को ही धोखा देते हैं।
 ऐसा ही एक आम इंसान भी करता है ।किसी विशिष्ट व्यक्ति आने से पहले वह भी अपने घर को सुसज्जित एवं साफ-सुथरा करके अपने को बेहतर बताने की कोशिश  करता है।
  वर्तमान में प्रकृति द्वारा किया गया यह सुन्दरीकरण कोई दिखावा न होकर एक संदेश है ,जो किसी विशिष्ट अतिथि के आने के लिए किया गया है ।यह वास्तविकता है इंसान द्वारा नहीं अपितु उस ईश्वर द्वारा किया गया कार्य है । जिससे सभी को घरों में रहने के लिए कहा गया, सड़के सूनी है । प्रदूषण पहले की तुलना में बगैर किसी मानव निर्मित प्रयासों के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है । गंगा भी निर्मल व स्वच्छ है ।वह भी किसी मानव निर्मित संयंत्र के द्वारा नहीं बल्कि प्रकृति ने अपने आपको खुद सवांरा है।
 मौसम भी नित्य नई करवट लेकर कुछ संदेश दे रहा है । क्या है यह संदेश हम सबको इस विषय पर बहुत ही गहराई से सोचने की जरूरत है ।
 विकसित और विकासशील देशों की अंधी दौड़ ने पर्यावरण संरक्षण को दरकिनार करके अपने को बेहतर बताया और अपने ऐशो आराम की वस्तुओं से सिर्फ पर्यावरण को ही नुकसान पहुंचाया ।
अमेरिका जो आज कोरोना महामारी से त्राहिमाम कर रहा है ।लेकिन इसी अमेरिका ने 2012 में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए किए गए करार को इसलिए तोड़ दिया था कि उसकी जीवनशैली और व्यापारिक हित कहीं ज्यादा बड़े हैं ,पर्यावरण संरक्षण से। लेकिन आज अमेरिका की हालत सभी देख रहे हैं ।
 ऑस्ट्रेलिया रूस जापान कनाडा जैसे देश भी इसी राह पर चलते हुए पर्यावरण संरक्षण को दरकिनार करते हुए चल पड़े थे । कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में आकड़ो के अनुसार  अमेरिका की बात की जाए तो वह सबसे आगे खड़ा दिखाई देता है । वहां पर व्यक्ति 17.3 टन कार्बन डाइऑक्साइड प्रति वर्ष वातावरण में छोड़ी जाती है।विकासशील से विकसित हो रहे थे उस समय उनके द्वारा किये गए पर्यवारण का दुर्व्यवहार सभी को भूल जाना चाहिए ऐसा इन विकसित देशों का कहना था । इन विकसित देशों ने तरक्की के लिए पर्यावरण को औंधे मुँह कुचला था ।लेकिन अब इस महामारी पर यह देश सोचने की भी शक्ति खो चुके है। लेकिन प्रकृति अपने ऊपर किये गए किसी भी प्रकार के अत्याचारों को कभी नही भूलती।
  वक्त बेवक्त ओलावृष्टि तूफान भूकंप केदारनाथ कश्मीर में प्राकृतिक आपदाएं संदेश देने के लिए काफी थी । लेकिन विकास का भूत हमे सोचने ही नही दे रहा था ।
यह विकसित और विकासशील देश पर्यावरण की परवाह ही नहीं करते थे ।इन्हें तो दो वक्त की रोटी, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवाएं को अहम मान रहे थे। पपर्यावरण जब कुछ करेगा तब उस संबंध में कुछ किया जाएगा। ऐसा इन देशो  कहना था ।इनकी पहली पहली प्राथमिकता पर्यावरण संरक्षण नही कुछ और था।
 चीन और कोरोना को समझना उतना ही जरूरी है जितना अन्य देशों द्वारा चीन से अपनी जीवनशैली के लिए उत्पादों को प्राथमिकता देना ।जिसका नतीज़ा चीन में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा था और पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई उपाय या ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे थे । आधुनिक से अत्याधुनिक बनने की होड़ और उन देशों के लिए उत्पादन करना । उसी चीन से ही कोरोना जैसे वायरस का उत्पादन हुआ और सभी देश इससे संक्रमित हैं। हम सबने जो दिया वापस भी तो हमें वही मिल रहा है इसमें भूल किसकी है और आरोप-प्रत्यारोप किस पर ।
हवा को सांस लेने लायक बनाने के तमाम प्रयास कहीं ना कहीं धराशाई हो रहे थे । पर्यावरण संरक्षण गोष्ठियों और सेमिनार  तक ही सीमित रह गया था ।इसमें रेडिएशन जैसी महामारी से पहले अनुमान के मुताबिक जल संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम अभी से दुनिया में नहीं उठाए गए तो यह संभव हो कि 2050 तक जल संकट जैसी स्थितियां पैदा होते देर न लगेगी।

Posted By KanpurpatrikaMonday, April 27, 2020

Sunday, April 26, 2020

प्लाज़्मा थेरैपी में अग्रणी रहा है भारत

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भारत कोरोना महामारी से कम संसाधनों और बेहतर चिक्तिस्य सुविधाएं न होने पर भी विश्व के अन्य देशों के मुकाबले काफी हद तक इस महामारी को काबू करने में सफल है और यही विश्वास भी किया जा सकता है कि जल्द ही भारत प्लाज़्मा थेरैपी या वैक्सीन के जरिये इस बीमारी को समुलतः नष्ट करने में सफल हो जाएगा क्योंकि

इतिहास में कई महामारीओं को भारत अपनी जीवनशैली या चिकित्सक प्रणाली से परास्त कर चुका है ऐसा ही एक गर्व करने योग्य किस्सा है सन 1710 में इंग्लैंड के डॉक्टर ऑलिवर नामक एक अंग्रेज चिकित्सक भारत आया और बंगाल में घूमा उसके बाद अपनी डायरी में उसने लिखा मैंने भारत आकर पहली बार देखा कि चेचक जैसी महामारी को भारतवासी कितनी आसानी से ठीक कर लेते हैं ।
चेचक तब यूरोप में महामारी थी और इससे लाखों यूरोप वासी मारे जा चुके थे डॉक्टर अलीगढ़ ने आगे लिखा यहां लोग चेचक के टीके लगाते हैं जो एक सुई से लगाया जाता है 3 दिन तक व्यक्ति को बुखार आता है जिसे ठीक करने के लिए पानी की पट्टियां सिर पर रखी जाती हैं फिर व्यक्ति ठीक हो जाता है एक बार जिसने टीका लगवा लिया वही जिंदगी भर चेचक से मुक्त रहता है ।
डॉक्टर अलीगढ़ ने भारत से लंदन पहुँच कर वहां डाक्टरों के डॉक्टरों की सभा बुलाई और भारत में चेचक के टीके की बात बताई वहां के दिग्गज डॉक्टरों को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ तब डॉक्टर ऑलिवर ने सभी दलों को अपने खर्च पर भारत लाए। 
 यहां चेचक का टीका लगाते लोगों को दिखाया । डॉक्टर ने भारतीय वैद्यो से पूछा कि इस टीके में क्या है। वैद्यो ने बताया कि जो लोग चेचक के रोगी होते हैं हम उनके शरीर का थोड़ा सा पस निकाल कर सुई की नोक के बराबर पस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करा देते हैं इससे उस व्यक्ति का शरीर  इस की रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता धारण कर लेता है

 यह पश्चिमी देशों के डॉक्टर्स के लिए एकदम नई बात थी। डॉ. ऑलिवर ने डायरी में आगे लिखा- 'जब मैंने वैद्यों से पूछा
कि आपको यह सब किसने सिखाया? तब वे बोले कि हमारे गुरू ने, उन्हें उनके गुरू ने और उनके गुरू को उनके भी गुरू ने। अर्थात मेरे अनुसार कम से कम डेढ़ हजार (1500) वर्षों से ये टीका भारत में लगाया जा रहा है।' अंत में डॉ. ऑलिवर
ने लिखां- हमें भारत के वैद्यों का अभिनंदन करना चाहिए कि वे नि:शुल्क रूप से घर-घर जाकर लोगों को टीका-लगा रहे हैं।' किंतु आपको यह जानकर आश्चर्य और क्षोभ होगा कि आज दुनिया एडवर्ड जेनर (सन्‌ 1749-1823) नामक अंग्रेज चिकित्सक को चेचक के टीके का जनक मानती है।


 

Posted By KanpurpatrikaSunday, April 26, 2020

Wednesday, April 22, 2020

#सौंदर्य #पिशाच #एक #कहानी #कलयुग #की भाग दो

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पता नहीं क्यों हम जो सोचते थे जिसकी कल्पना कर रहे थे वह सब धोखा था और वह धोखा हम सभी अपने आप को ही दे रहे थे । लेकिन जब धोखे से पर्दा उठ गया तो हम सब यह सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या वास्तव में हम एक ऐसे धोखे या दिखावटी जीवन में जी रहे थे जिससे बाहर निकलने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
 लेकिन आज एक झटके में हमारी आंखों के सामने ही सारा की सारा नजारा ही बदल गया ।कहीं ना कहीं हम अपनी दिनचर्या को बदलना ही नहीं चाहते थे ।लाख समझाने के बाद भी हम सभी तरह-तरह के बहाने बनाकर अपने आप को श्रेष्ठ साबित कर देते थे ।
खुद जानते थे कि हम कर सकते हैं लेकिन हम ऐसा करेंगे ।नहीं जहां दिन हो या फिर रात में भी जिंदगी चलती नजर आती थी वहां पर किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि जिंदगी यो रुक जाएगी।
 जो अपने अपने काम के बीच की काम के बोझ के नीचे दबे जा रहे थे और नहीं आ पाते अपनो के बुलाने पर आज उन्ही को अब 800 किलोमीटर का सफर भी छोटा सा लग रहा है ।गरीब रिक्शेवाले के चंद कदम पहले उतार देने पर वो साहब पैसो के साथ दो चार बातें भी मुफ्त में दे दिया करते थे आज वही पैदल चलते नज़र आते है।
 सुबह का नाश्ता दोपहर खाना देर रात तक मौज मस्ती  सुबह की सैर  महंगे शौक यह सब बस एक काल्पनिक चरित्र जो हमे घेरे हुए था।
अपनो के लिए समय ही नहीं था मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में अरदास प्रार्थना सभा का नियम ना टूटे भले ही अपनों का दिल टूट जाए । लेकिन हम श्रेष्ठ बताना कभी नहीं छोड़ते थे ।
अपना एक सीमित दायरा बना लेना। ब्रांडेड कपड़े मॉल्स में घूमना फिरना बाहर का खाना यह ही तो हमारी दिन चर्या में शामिल था।जो इसमें शामिल नही था वह पिछड़ा था।
 यही तो दिनचर्या थी हम सबकी जिसके बगैर जीवन शायद था ही नहीं ।
जिन कामों को हम बखूबी कर सकते थे नहीं करते थे कारण एक काल्पनिक चरित्र हमें ऐसा करने ही नहीं दे रहा था।
क्या कभी हम सभी ने कल्पना की थी कि आधे से ज्यादा दुनिया यूं रुक जाएगी। विकसित और विकासशील देश अच्छे से अच्छे इलाज के लिए दूसरे देशों में जाना या अपने ही देश में बड़े शहरों में जाना । बेहतर इलाज करवाना लेकिन क्या हुआ एक ही झटके में सब विकसित और अत्याधुनिक सुविधाओं का दम्भ भरने वाले लोग आज हाथ खड़े करने पर मजबूर है।

 माना कि यह महामारी है महामारी कैसे आई कहां से आई क्यों आई, ऐसा सवाल जरूर है लेकिन यह बीमारि या महामारी ने हमारी अंधी दौड़ और काल्पनिक चरित्र को सुनसान सड़कों पर अकेला ही छोड़ दिया है ।
क्या हम सब एक गांव से बेहतर एक शहर और एक छोटे शहर से बेहतर 1 बड़े शहर और उससे भी बेहतर पश्चिमी देशों को मानते थे कि वह ज्यादा समझदार है ,लेकिन हुआ क्या हमारा यह धोखा भी टूट गया आंखों में बंधी पट्टी हट गई ।
आज हम सभी एक लाइन में खड़े होकर और ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाए ।
अगर इस वायरस को इंसान ने बनाया तो क्या उसका इलाज इंसान के पास नही हैं। जवाब होगा कि नहीं है उस ईश्वर की शक्ति के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता ।इसलिए इंतजार कीजिए रुकिए और सोचिये कि क्या वास्तव में जो जीवन हम जी रहे थे वो बेहतर था या फिर यह जीवन है जो अभी हम जी रहे है ।
साल 2020 वास्तव में इतिहास बनेगा अगले 100 सालों के लिए। आज जो जीवित हैं ऐसा भयानक और विकराल समय शायद वह दोबारा न देख पाएंगे। जहा समय चल रहा है और ज़िन्दगी रुकी हुई है। या मानव रुका हुआ है और जिंदगी चल रही है।

इस मौजूदा विकराल समय से निकलना मुश्किल लगता है और अगर हम इससे बाहर निकल जाएंगे तो भी हमारी जीवन के उस काल्पनिक चरित्र को हम स्वीकार ना कर पाए।
 क्योंकि नया काल्पनिक चरित्र धीरे-धीरे तैयार हो रहा है हैम सबके लिए।
और जैसे ही हम इस महामारी से बाहर निकलेंगे और राहत महसूस करेंगे ।
 अपने जीवन को बदला हुआ पाएंगे मंदिर मस्जिद व अन्य धार्मिक स्थलों पर भीड़ कम हो जाएगी मृत्यु और जन्म के समय होने वाले आयोजनों में आने वाले लोगों की संख्या भी कम हो जाएगी । स्कूल कॉलेज या फिर कोचिंग में लगने वाली भीड़ कम हो जाएगी । हम बाहर का खाना खाना कम कर देंगे ।हम सोचने लगेंगे की जीवन बदल जाएगा ,लेकिन सच तो यह है कि हम नहीं बदलने वाले हैं क्योंकि यह काल्पनिक रूप सौंदर्य पिशाच ननये रूप में आकर  हमें ऐसा नहीं करने देगा ।क्योंकि  हम सब जो देख रहे हैं जो सोच रहे थे क्या बाजारों में रौनक खत्म हो जाएगी धार्मिक आयोजन बंद हो जाएंगे नहीं होने वाला है। हमारी रुकी हुई ज़िन्दगी फिर उसी पैसे और इज़्ज़त कमाने की अंधी दौड़ में शामिल हो जाएगी।
इधर हम धीरे धीरे  एक और धोखे में हम जी रहे हैं जो धोखा है  हमें धोखा देगा।
 लॉक डाउन के चलते सभी अपने घरों से कम और बच्चों के पढ़ाई का कार्य सब कुछ मोबाइल और इंटरनेट  पर निर्भर हो गया है ।
क्या हम जैसी कर कर पाएंगे कि  आगे आने वाले समय पर मोबाइल और इंटरनेट पर हमें हमसे दूर कर देगा और हम बिना मोबाइल इंटरनेट के जीवन यापन करने के शायद ऐसा सोचना भी अभी गलत होगा लेकिन यह सच है कि ऐसा होने वाला है ।
आने वाले 100 सालों में या 100 सालों के अंदर ही मोबाइल रेडिएशन एक ऐसा खतरा बन जाएगा जो हमें मोबाइल और इंटरनेट से दूर कर देगा।
और हम सभी अकेले अकेले ऐसे जहां पर रहने को मजबूर हो जाएंगे जहां पर मोबाइल रेडिएशन का खतरा या किसी प्रकार का कोई सी रेडिएशन का खतरा हम तक न पहुंच पाए अपने संदेशों पहुंचाने के लिए हम टेलीपैथी जैसी विधि का इस्तेमाल करेंगे।
क्योंकि अगर वर्तमान समय की बात करे तो देश विदेश में प्रदूषण को दूर करने के लिए कई अत्याधुनिक तकनीक और कड़े नियम बनाये गए ।लेकि नतीजा सिफर रहा।
 लेकिन अभी जब हम सभी अपने घरों में कैद है तओ वायु प्रदूषण के कम होने से  कम होने से पेड़ पौधों में चमक वापस आ गई है वहीं ध्वनि प्रदूषण कम होने से पशु पक्षी आकाश में स्वच्छंद विचरण करते दिखाई पड़ रहे हैं ।
कई ऐसी बातें सच हो गई जिसकी कल्पना मात्र करने से लोग डर जाते थे। बेशक कामकाज और अर्थ व्यवस्था पर फर्क पड़ा है और आगे भी ऐसे ही हालातों में हमें जीना पड़ेगा।
लिखने अगर हम  वर्तमान से सबक नहीं लेंगे तो भविष्य में मोबाइल रेडिएशन या ऐसे ही किसी अन्य महामारी से में 2- 4 जरूर होना पड़ेगा।
 वर्तमान समय में दुनिया रुकी है और इस चलते हुए वक्त में और ठहरी हुई दुनिया में हम सब एक पल के लिए अगर भविष्य के लिए एक सुंदर कल्पना करना चाहे तो सिर्फ एक ही सूत्र होगा कि उस ईश्वर की या प्रकृति से अगर हमने खेलना बंद नहीं किया तो पपरिणाम इस से भी भयानक होंगे। फिर चाहे पहाड़ों को नष्ट करने हो, पेड़ पौधों को काटना हो ,नकली खानपान का व्यापार, नदी गंगा जी और समुद्र में अपने फायदे के लिए खेल खेलना ,बेजुबान जीवो की हत्या करना।अगर हमने यह सब बंद नही किया तो  प्रकृति संतुलन बनाने के लिए हर वह प्रयास करके जो उसके बेजुबान संतानों के लिए बेहतर होगा यह एक अच्छा समय है जब प्रकृति हमें रोक कर सोचने और समझने का मौका दे रही है तो प्रकृति अपने इन बेजुबान संतानों की रक्षा के लिए प्रकृति हर वो कदम उठाएगी जो उसके लिए बेहतर होगा। प्रकृति के दिए इस वर्तमान संदेश को हम समझे और अपने बेहतर भविष्य को सुरक्षित करने में लग जाएं।
पंडित आशीष सी त्रिपाठी।

Posted By KanpurpatrikaWednesday, April 22, 2020

नेत्रो के समस्त विकारो को दूर करने का अद्भुत उपाय।

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चक्षुसी  विद्या 
आंखों की समस्याओं से आजकल हर व्यक्ति परेशान हैं बच्चों हो या बड़ा सभी को नेत्र रोग हैं कुछ आनुवंशिक  हैं कुछ कुंडली में स्थित कारक ग्रहों के आधार पर बताए जाते हैं कुछ आजकल की दिनचर्या को इसके लिए दोषी मानते हैं।
 कारण कुछ भी हो सबका मूल एक ही है कि आंखों की समस्या से सभी परेशान हैं ।
कारण कोई भी हो या यह सभी कारण एक ही है।
 क्या हमारे ऋषि मुनि इतने त्रिकालदर्शी थे कि उन्हें पता था कि कलयुग में ऐसा होगा । क्योंकि उस समय उन्होंने चक्षुसी विद्या  के रूप में एक ऐसा मंत्र दिया जो आंखों के समस्त विकारों को दूर कर सकता है ।
कुछ लोग या यह कहें कि ज्यादातर लोग इस चक्षुसी  विद्या का पाठ नित्य करते हैं लेकिन उन्हें कोई भी परिणाम प्राप्त नहीं होते है ।
कारण क्या है।
 कई ज्योतिषी भी इस पाठ का निरंतर पाठ करने के आप्रत्याशित लाभ बताते हैं ।लेकिन कई लोगों के पाठ करने पर कोई भी अंतर समझ में नहीं आता या उन्हें लाभ प्राप्त नहीं होता पाठ करने के बाद भी।
 इसका क्या कारण हो सकता है ।
पहला की जिसने भी इस पाठ को पढ़ने को बताया और लाभ बताएं उसने पूरी तरह से नहीं बताया कि पाठ कैसे किस विधि से किया जाए और कितनी संख्या में करने पर लाभ होगा ।
दूसरा कि जब हम कोई भी ईश्वर से संबंधित उपाय या कुंडली संबंधित उपाय करते हैं तो हमारे मन में पूर्ण विश्वास होना चाहिए न कि  तनिक भी संदेह । अगर संदेह उत्पन्न हुआ तो आप का उपाय करना निरर्थक साबित होगा।

हम यहां आपको बताएंगे चक्षुसी  विद्या का पाठ कैसे विधिपूर्वक करते हैं और कौन-कौन सी सामग्री इस पाठ को करने के लिए आवश्यक होती है ।
चक्षुसी विद्या का पाठ करने के कुछ नियम है ।
जैसे 1- लाल आसन पर बैठे 
       2- एक तांबे का छोटा कलश और एक पात्र एक चम्मच कुश धूपबत्ती या दीपक देसी घी का गुड़हल का फूल रोली कलावा 
3-सूर्य उदय  से 10 मिनट पहले सबसे ।
पहले नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें लाल आसन पर बैठे।
 यह छोटे कलश में गंगाजल भरें उसमें गुण रोली फूल कलावा जल में डाल ले । कर पात्र में भी थोड़ा सा गंगा जल भर ले । धूपबत्ती या दीपक प्रज्वलित कर ले । अब सूर्योदय से पहले श्री गणेश जी की वंदना करें फिर अपने कुलदेवी या कुलदेवता या अपने इष्टदेव का ध्यान करें ।
श्री आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ विनियोग के साथ करें ।तत्पश्चात कम से कम 11 पाठ थोड़ा समय हो तो 51 पाठ नित्य 51 दिनों तक करें और इस सबसे पहले हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि मैं चक्षुसी विद्या  का 51 या 11 पाठ 51 दिनों तक लगातार करूंगा और इस पाठ में सभी से प्रार्थना करें अग्नि जल वायु आकाश पृथ्वी और सूर्य चंद्र देव सभी को साक्षी मानकर  पृथ्वी को प्रणाम कर  अपने नेत्रों के विकारों को दूर करने की प्रार्थना करे। अब विनियोग के साथ पाठ आरंभ करें ।
पाठ करते समय हाथ से कुशा के जल को ध्यान केंद्रित करते हुए कर पात्र के जल को कुश से घुमाते रहे। पाठ समाप्त करने पर सूर्य देव को तीन बार में जल अर्पित करें साथ ही कर पात्र में रखे जल को आंखों पर दवा के रूप में लगाएं । बस श्रद्धा पूर्वक नित्य पाठ करते रहे ।जब फायदा महसूस होगा तो 51 दिनों के बाद भी पाठ नित्य करने का अभ्यास करते रहे।
साथ ही जब भी सूर्य संक्रांति सूर्य या चंद्र ग्रहण हो तो 2 छोटे पीतल या तांबे के कलश ले दाहिने कलश में सफेद तिल सफेद सिक्का व बाएं कलश पीला सिक्का साथ में काले तिल भरकर पाठ करते समय रख ले। और पाठ करने के पश्चात योग्य ब्राह्मण को दान कर दे।
पंडित आशीष सी त्रिपाठी
ज्योतिषाचार्य

Posted By KanpurpatrikaWednesday, April 22, 2020

Friday, April 17, 2020

#कोरोना #कब #होगा #ख़त्म

करीब डेढ़ साल पहले ही कर दी थी कोरोना की भविष्यवाणी 14 साल के अभिज्ञ ने यूट्यूब पर की थी भविष्यवाणी यह 
14 साल का ज्योतिषी के जिसका नाम अभिज्ञ आनंद है यह कर्नाटक का रहने वाला आनंद डेढ़ साल पहले ही अपने यूट्यूब चैनल पर भविष्यवाणी कर दी थी कि 2020 में मनुष्य और वायरस के बीच में भयानक जंग होगी जिसने पूरी दुनिया त्राहिमाम त्राहिमाम करेगी  31 मार्च 2020 से अचानक बीमारी में विस्फोट होगा  जिसमें कई देश इस बीमारी को चपेट में आ जाने वाले हैं इस भयानक बीमारी से सब कुछ खत्म हो जाएगा बस वही सुरक्षित रहेगा जो घर में रहेगा बाकी सब कुछ खत्म हो जाएगा ।
29 मई तक विश्व की 80% आबादी वायरस से ग्रसित हो जाएगी और विश्व की 20% आबादी इस भयानक वायरस कोरोना से खत्म हो जाएगी।
 30 मई से इसमें सुधार होना शुरू होगा  जो कि 5 सितंबर तक चलेगा वायरस से अंतिम मौत 10 सितंबर को होगी उसके बाद यह वायरस खत्म हो जाएगा परंतु इसके बाद कई देश भुखमरी से ग्रसित हो जाएंगे चारों ओर लूटपाट होगी कई देश अपना वर्चस्व खो देने वाले हैं जब अभिज्ञ ने इस वीडियो को पोस्ट किया था तब कई लोगों ने और भविष्य कर्ताओं ने इस वीडियो को उतनी गंभीरता से नही लिया था ।
 मगर आज जब इसकी भविष्यवाणी वाला यह वीडियो सही साबित हुआ तो लोग तारीफ कर रहे हैं।
#कोरोनाकबहोगाख़त्म

Posted By KanpurpatrikaFriday, April 17, 2020

Thursday, April 16, 2020

कोरोना काल मे दिखे खाकी वर्दी के अनगिनत रूप

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कोरोना काल मे दिखे खाकी वर्दी के अनगिनत रूप

देश में जहाँ एक और सीमा की रक्षा करने के लिए भारतीय सेना के सशस्त्र जवान निरंतर जुटे रहते हैं फिर चाहे वह सियाचिन हो या फिर राजस्थान की लगी सीमाएं ।

मौसम कोई भी हो दिन हो रात हो उन्हें सिर्फ अपने देश प्रेम और भारत मां की रक्षा के लिए सदैव तत्पर देखा जाता है उसी प्रकार देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है हमारे पुलिस के जवानों की ,तेज धूप हो या फिर बरसात या फिर सर्दियों की सर्द राते । हमारे पुलिस के जवान उसी मुस्तैदी से अपने फर्ज को निभाते नजर आते हैं इन पुलिसकर्मियों के ऊपर सिर्फ आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी ही नहीं होती बल्कि पारिवारिक विवाद त्यौहार  और ऐसे अनेक कार्य जिम्मेदारी उनके कंधों पर रख दी जाती है और इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते भी हैं और अपने फर्ज में डटे रहते हैं।

 त्योहारों पर जब सभी खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ खुशी के लम्हे बिता रहे होते हैं उसी समय हमारे पुलिस के जवान हमारी सुरक्षा पर परिवार से अलग डटे रहते हैं ।

लेकिन इतनी जिम्मेदारी और उनके डुयूटी के घंटों की अनिश्चितता उनके इस कार्य को डिगा नहीं पाती है लेकिन कहीं ना कहीं उनके ऊपर मानसिक दबाव बन जाता हैं ।आपराधिक घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को ही दोषी ठहराते हैं फिर खुलासे का दबाव बढ़ता जाता है ऐसे अनगिनत परेशानी और उनकी समस्याएं उन्हें उलझन समाज में से दूरी बनाने पर मजबूर करती हैं ।क्योंकि कहीं नहीं पुलिस की वर्दी उसी आम जनता से दूर करती है । लेकिन कई बार मित्र पुलिस की छवि जनता को देखने को मिलती है तो उसे लगता है कि पुलिस मित्र भी होती है हम पुलिस विभाग के इसी जज्बे के लिए आज उनको नमन करते हैं।

 आज देश मे अदृश्य दुश्मन कोरोना महामारी का रूप में हर किसी को डरा रहा है लॉक डाउन के चलते लोग अपने घरों में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार भी उनसे ऐसा करने को कह रही है ।ऐसे में एक बार फिर पुलिस कोरोना काल में करुणा का रूप लेकर लोगो के बीच  आत्मविश्वास और हमारी सुरक्षा  के लिए मुस्तैद खड़ी है।

 कभी डराकर कभी सख्ती और कभी एक मां की तरह प्यार से इस कोरोना काल में जितने रूप पुलिस के दिखे शायद पहले कभी देखे हो आपने और हमने ।और यह रूप पहले से जुदा भी थे । भूखे पेट को खाना खिलाना हो किसी को घर पहुंचाना या किसी को राशन पहुंचाना वह भी उसके घर तक की जिम्मेदारी अगर कोई निभा रहा है तो वह खाकी वर्दी है वर्दी जरूर खाकी है लेकिन एक उस वर्दी में अंदर ना जाने कितने रूप छुपे हुए है ।

 अपनापन देश के लिए और अपनों के लिए करुणा । करोना काल का संकट भी ऐसा है कि वह संक्रमित लोगों ड्यूटी या ऐसे क्षेत्र में है जो कोरोना हॉट स्पॉट है  तो वह ड्यूटी खत्म होने के बाद अपने घर भी नहीं जा सकता ना ,अपनों से मिल सकता है ।

क्योंकि हमारी सुरक्षा के साथ ही उसे अपने घर की भी सुरक्षा को ध्यान में रखना है । कहीं पर महिला पुलिस इस कठिन करोना काल में अपना बच्चा लेकर ऑफिस में अपनी जिम्मेदारी निभाती नजर आ रहे तो कई तो कहीं महिला पुलिस शादी को आगे बढ़ाकर देश के देश को प्रथम रखने के साथ अपने हौसले और हिम्मत को दिखा रही है ।

सिर्फ अगर हम यह सोच ले कि पुलिस का डर या यूं कहें कि उनका सुरक्षात्मक आवरण इस कोरोना संकट के समय न हो तो क्या होगा।ऐसी बाते एक आम इंसान के दिल मे सिरहन सी पैदा कर देती है।

इसलिए हम सभी का एक नैतिक फ़र्ज़ और जिम्मेवारी बनती है कि जो हमारी सुरक्षा के लिए खड़े है उनके लिए हम अपने घरों में रहे ताकि उनका कार्य थोड़ा आसान हो सके।

करोना काल में जहां हर कोई संकट की इस घड़ी में कड़कती धूप में घरों में सुरक्षित है तो वह हमारे पुलिस के जवान सड़कों पर मुस्तैद हैं और लोगों की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं ।

आइये हम सब मिलकर देश के पुलिस विभाग को नमन करें।


Posted By KanpurpatrikaThursday, April 16, 2020

ये एक बहाना ही तो था अपनो को पास बुलाना था

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ये एक बहाना ही तो था 
अपनो को पास बुलाना जो था ।
चलो एक कसम खा लेते है 
अब अपनो से दूरी बना लेते है ।
हमसे हुई जरूर कोई है भूल
बताती पेड़ो और पत्तियों से हटी हुई धूल।
ये एक बहाना ही तो था 
अपनो को पास बुलाना था
आकाश में घूमता पक्षियों का झुंड बताता है 
कोई अपनो को वापस फिर से बुलाता है।
प्रकृति एक बहाने से हमे समझाती है
एक माँ की तरह से हमे दुलारती भी है
पैसे कमाने और आगे निकलने होड़
पता नही ले जा रही थी किस मोड़
ये एक बहाना ही तो था 
अपनो को पास बुलाना था
जो दूर थे अपनी माटी से
पैसो और शौहरत के लिए
अब तड़प सी उठ रही दिलो में
कैसे पहुँच जाऊ अपनो के पास
ये एक बहाना ही तो था 
अपनो को पास बुलाना था



Posted By KanpurpatrikaThursday, April 16, 2020

Wednesday, April 15, 2020

#सौंदर्य #पिशाच #एक #कहानी #कलयुग #की

#सौंदर्य #पिशाच #एक #कहानी #कलयुग #की 
आज हम जिस युग में जी रहे हैं वह 21वीं शताब्दी है लेकिन जो युग है वह कलयुग है ।कलयुग के विषय में हमारे धर्म ग्रंथो में अनेक बातें लिखी गई हैं ।जो निरंतर प्रत्येक 10 साल के अंतर पर हमें कलयुग का आभास करा भी देती है। और यह  सौंदर्य पिशाच इन प्रत्येक 10 सालों में और ताकतवर होता जा रहा है । वर्तमान में  या यूं कहें कि 70 साल पहले जो पिशाच छोटा था आज 70 साल में पहले से विशाल हो गया है । लेकिन हम सब इस सौंदर्य पिशाच  से अनजान है और यह सौंदर्य पिशाच समय के साथ में धीरे-धीरे हमे खत्म करता जा रहा है। हमारे पुराणों में उल्लेख किया जाता है इस कलयुग के अंतिम समय में एक व्यक्ति औसत आयु 20 वर्ष के करीब होगी और महिलाएं 12 से 15 वर्ष की आयु में मां भी बन जाएंगे। बच्चे एक साल में बोलना और स्कूल जाना सीख जाएंगे। शायद आप इन सब बातों पर यकीन न करे ।लेकिन सौंदर्य पिशाच के कई साक्ष्य सबूत हमें टेलर रूप में आज भी दिखाई पड़  जाते हैं। वर्तमान युग में वर्तमान से भूतकाल अर्थात करीब 200 साल के पुराने इतिहास को देखें तो बहुत कुछ बदल चुका है ।खान-पान से लेकर रहन-सहन बोलचाल संस्कार और संस्कृति सभी कुछ बदल चुका है । अगर से हम मनुष्य की औसत आयु की बात करें तो वर्तमान की तुलना में भूतकाल से करें तो खुद ही पता चल जाएगा। जहां आज के इंसान की औसत आयु 60 वर्ष है पहले यह औसत आयु 100 वर्ष या उससे भी अधिक हुआ करती थी ।बच्चे जहां 5 वर्ष 5 माह के बाद ही स्कूली शिक्षा लेते थे आज 2 वर्ष मे स्कूल जाने लगते है । बोलना बैठना और ऐसी कई चीजें 1 वर्ष के अंतराल में ही सीख जाते हैं अर्थात  कलयुग के अंत में औसत आयु जो धर्म ग्रंथो  में जो उल्लेखित है 20 वर्ष होगी जो अभी 60 वर्ष है तो यह संभव हो सकता है बच्चे स्कूल जाना 6 माह या 1 वर्ष में जाएगा तो 5 माह 5 वर्ष से आज 2 वर्ष हो गया यानी यह संभव हो जाएगा तो कलयुग आने का यह कलयुग का संभावित वर्णन लिखा हुआ है वह कहीं नहीं ट्रेलर के रूप  में आज हमारे सामने आ ही जाता है। कलयुग के अंत में लिखी गई है बात सच होती दिखती है जैसे    लड़के और लड़कियां जहां 10 वर्ष की आयु के बाद समझदार होते थे और सामाजिक गतिविधियां सीखते थे आज उस उम्र में  या उससे पहले कई ऐसी चीजें सीख जाते हैं जो सामाजिक रूप से कतई ठीक नहीं होती लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सब संभव कैसे हो पा रहा है।  यह यह संभव हो पा रहा है उस पिशाच के द्वारा जो धीरे-धीरे विशाल होता जा रहा है और हमें आगोश में लेता जा रहा है । जो दिन प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है और नष्ट कर रहा है हमारे विचारों को संस्कृती को और धरोहरों को प्रेम को ।हम चाह कर भी उसका मुकाबला नहीं कर पा रहे और ना ही कर सकते हैं ।ऐसे दिन पर दिन हमें अपने जाल में वह सौंदर्य पिशाच फांसता जा  रहा है और हम फंसते जा रहे हैं  आंखें बंद करके हम जैसे जानते ही नहीं है और जानना भी नहीं चाहते हैं क्योंकि यह से सौंदर्य पिशाच ने हमें ऐसा बना दिया है कि हम कुछ सोच भी नहीं सकते। माता-पिता का दिमाग ऐसा कर दिया है कि वह अपने बच्चों से प्यार कम और नफरत ज्यादा करने लगते हैं और अपने बच्चों को नफरत ईश्वर के प्रति सोच और गुस्से से लबरेज कर रहे हैं। कौन है यह सौंदर्य पिशाच और क्या हम सब जानते हैं इस बारे में नहीं आप में से कोई नहीं जानता इस सौंदर्य पिशाच को। क्योंकि सौंदर्य पिशाच पहले यह एक की संख्या में हुआ करते थे आज है परमाणु बम की तरह अनेक संख्या में हमारे बराबर और हमसे बड़े होकर कहीं ना कहीं हमारे साथ घुल मिल चुके हैं ।एक व्यक्ति में एक से अधिक दो या तीन सौंदर्य पिशाच निवास करते हैं समय-समय पर यह अपना रूप भी बदल कर सामने आ जाते हैं ।लेकिन हम चाह कर भी वह सौंदर्य पिशाच को नहीं देख पाते हैं ।आगे हम बताएंगे कैसे उस सौंदर्य पिशाच से बचा जा सकता है और कैसे हम अपनी संस्कृति संस्कार और धरोहरों को बचा सकते हैं ।

Posted By KanpurpatrikaWednesday, April 15, 2020