शनि देव शनि की
साढ़े साती डर और अंधविश्वास
वर्तमान में शनि
देव की काफी चर्चा हो रही है कारण 26 जनवरी २०१७ को 3ः20 दोपहर को में शनि देव अपनी वृश्चिक राशि को
छोड़ कर धनु राशि में प्रवेश कर रहे है जिस कारण जिन व्यक्तियों की कुंडली अनुसार
साड़ेसाती शुरू हो रही है उन्हें काफी चिंता है साथ ही काफी ज्योतिषी और टी वी
कार्यक्रमों में ऐसा दिखाया जा रहा है जिससे काफी लोगो डरे हुए है ।
अब बात आती है
क्या सभी प्रकार के कष्टों के कारण सिर्फ शनि देव है क्या शनि हमेशा बुरा ही करते
है आज का लेख सिर्फ इस बात और इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए ही है की शनि किसी
का भी अहित नहीं करते सिर्फ व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मो का फल उसको उसकी साड़े
साती की दशा में मिलता है । प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में साड़े साती तीन बार आती
है कारण उसके कर्मो के फल समय समय पर उसको मिलते रहे ताकि उसका जीवन आनंद से कटता
रहे ।
शनि को ९ ग्रहों
में सबसे धीमे चलने वाले ग्रह माने गए है शनि को न्याय का भी देवता कहते है । शनि
एक राशि में ढाई वर्ष तक भ्रमण करते है और इस प्रकार १२ राशियों में भ्रमण करने
में शनि देव को तीस वर्षो का समय लगता है ।
सूर्य को शनि का
पिता व छाया को माता बताया गया है साथ ही शनि का अपने पिता सूर्य से हमेशा बैर
रहता है शनि सूर्य की उच्च राशि मेष में ही नीच के रहते है । जब भी सूर्य व शनि एक
राशि में स्थित हो जाते है को पित्र दोष का निर्माण करते है ऐसा सूर्य व शनि की
आपस में द्रष्टि पड़ने पर भी माना जाता है कुछ विद्वान शनि का सूर्य व सूर्य का शनि
की राषि में स्थित होने पर भी पित्र दोष होना बताते है ।
आने वाली २६
जनवरी को 15ः20 मिनट में शनि ढाई साल बाद वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि
में प्रवेश करेगे जिससे तुला राशि व धनु राशि में चल रही साड़े साती समाप्त हो
जाएगी और वृश्चिक जातकों के लिए साढ़े साती का अंतिम चरण शुरू हो जायेगा । इसके
अतिरिक्त धनु जातकों के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ हो जायेगा है साथ ही
मकर राशि का शनि की साढ़े साती शुरू हो
जाएगा।
क्या अब वृश्चिक
और मकर राशि वालो का बुरा समय शुरू हो जायेगा ! क्या अब उन सभी व्यक्तियों को जिनकी
राशि मकर और वृश्चिक है उन्हे मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा !
क्या वास्तव शनि
कष्ट देते है मुसीबत देते है क्या शनि से भयभीत होना स्वाभाविक है या यह एक
अंधविश्वास मात्र है !
जिन शनि देव को
न्याय का देवता माना गया है और जो न्याय स्वरुप तुला तराजू जिनकी उच्च राशि बताई
गई है और जो न्याय करते है वो क्या सभी को
दंड ही देते है क्या क्रूर होते है क्या वो सभी के साथ क्रूरता ही करते है जवाब
नहीं ही होगा ,क्योंकि जो गलत
है दंड उसको ही मिलता है जो दुसरो को परेशान करता है स्त्रियों का सम्मान नहीं
करता अपने से छोटे लोगो को कष्ट देता है वो दंड की अधिकारी है कष्ट उन्हे ही मिलता
है ,और जो अच्छा है सबको
प्यार करता है ईमानदार है नशा आदि नहीं करता है सबसे स्नेह रखता है उसकी वाणी से
किसी को कष्ट नहीं होता उसे शनि देव कभी कष्ट नहीं बल्कि तरक्की देते है ।
सभी ज्योतिषी तो
नहीं लेकिन ऐसे कम भी नहीं है जो अपनी दुकान चलाने के लिए लोगो को शनि का भय दिखा
कर उन्हे डरा कर रत्न अनुष्ठान आदि बता कर उनसे पैसे वसूलते है और उनके जीवन में
आने वाले ज्यादातर कष्टों का ठीकरा शनि देव पर फोड़ देते है ।
सौर्य मंडल या
कुंडली में स्थित में शनि के अतरिक्त ८ गृह भी उतना ही कष्ट या फल देते है जितना
शनि देते है द्य बस अंतर इतना है की शनि न्याय के देवता है और सबसे धीमे चलने वाले
है तो उनके दिए हुए फल देर तक रहते है इसलिए हमे दिखाई देते है बाकि ग्रहों की चाल
शनि से तेज है इसलिए उनके कष्ट त्वरित होते है जिन्हें हम ध्यान नहीं देते ।
यहाँ पर सिर्फ एक
बात है की क्या शनि सभी के लिए कष्टकारी होते है तो ये निष्कर्ष निकलता है की जो
कर्म अच्छे करेगा उसको अपने जीवन में शनि की साड़े साती और ढैय्या में कष्ट नहीं
मिलते लेकिन अगर उसने जाने अनजाने में किसी को भी कष्ट पहुचाया है तो उसको कष्ट ही
मिलेंगे ।
स्वर्गीय प्रधान
मंत्री इंदिरा गाँधी पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा और वर्तमान प्रधान मंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी को उनकी साड़े साती में ही उच्च पद की प्राप्ति हुई थी ।
कुल मिलकर हम
जिन्हें अपने पूर्व जन्मो का कर्म कहते है वो असल में हमारे इस जन्म के ही कर्म
होते है क्योंकि हम प्रत्येक दिन मरते है और प्रत्येक दिन जीते है तो जो समय
हमारे वर्तमान जीवन में बीत चूका है है वह
ही पिछला जन्म था जिसके कर्म हम वर्तमान में भोग रहे है और भविष्य कैसा होगा यह भी
हम वर्तमान में किये गई कर्मो से तय कर सकते है ।
कैसे समझे कुंडली
में साढ़े साती शुरू होती है ?
१ शनि देव गोचर
अर्थात वर्तमान में कौन सी राशि में है ये देखे वृश्चिक राशि में
२ आपकी कुंडली
में चंद्रमा कहा स्थित है ?
मान लीजिये ७
नंबर जहा लिखा है वहा पर है अर्थात तुला राशि में है
या जहा ९ नंबर
लिखा है है वहा पर अर्थात धनु राशि में है
अब शनि जहा गोचर
में है वहा से गिनने पर १२वे व दुसरे आने पर साड़े साती शुरू हो जाती है ।
धनु राशि १२वे आ
रही है जब की तुला राशि २रे आ रही है ।
या ऐसे समझ सकते
है की जन्म राशि से गोचर शनि २रे और १२वे आने पर साड़े साती शुरू हो जाती है द्य और
चैथे ८वे आने पर ढैय्या शुरू होती है ।
शनि की साड़े साती
चल रही हो या शुरू होने वाली हो तो कुछ उपायों के द्वारा कष्टों को कम किया जा
सकता है ।
निष्कर्षके तौर
पर देखें तो साढ़े साती भयकारक नहीं है शनि चालीसा में एक स्थान पर जिक्र आया है
।। गज वाहन
लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुखसम्पत्ति उपजावैं ।। गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ
सिद्घ कर राजसमाजा।।
श्लोक के अर्थ पर
ध्यान दे तो एक ओर जब शनि देव हाथी पर चढ़ कर व्यक्ति के जीवन प्रवेश करते हैं तो
उसे धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती तो दूसरी ओर जब गधे पर आते हैं तो अपमान और कष्ट
उठाना होता है। इस श्लोक से आशय यह निकलता है कि शनि हर स्थिति में हानिकारक नहीं
होते अतः शनि से भय खाने की जरूरत नहीं है। अगर आपकी कुण्डली में शनि की साढ़े साती
चढ़ रही है तो बिल्कुल नहीं घबराएं और स्थिति का सही मूल्यांकण करें।
उपाय:- नशे और
नशे की वस्तुओं से दूर रहे ।
धार्मिक कार्यो
में भागीदार बने ।
दशरथ कृत शनि
स्त्रोत का पाठ नित्य करे ।
लोहे के कटोरे
में तेल भर कर उसमे अपनी छवि देखे और उसको किसी भिखारी या शनि मंदिर में दे दे ।
सुन्दर कांड का
मंगलवार व शनिवार पाठ करे ।
शनिवार को पीपल
के ११ पत्ते धोकर उसमे पीले सिन्दूर से राम राम लिखे और कलावा से सभी पत्तो से को बांध कर माला बना ले और उसे
हनुमान जी की मूर्ति पर चड़ा दे । और बजरंग बाण का पाठ करे द्य अंत में मनोकामना
करे और कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करे ।
पंडित आशीष
त्रिपाठी
ज्योतिष आचार्य