स्वप्न अर्थात सपने ... अपने जीवन में सभी अपने सपनो को बुनते है जिनमे कुछ सपने सच हो जाया करते है और कुछ सपने सपने बनकर सपनो में ही आया करते है / कहते है खुली अखो से देखे गय
सपने सच होते है लेकिन कौन होगा जो खुली आँखों
से सपने देखना पसंद नहीं करेगा, सभी चाहते है / सपनो का संसार एक चमत्कारिक संसार तो है ही साथ में रहस्यमई
भी है / इसे जितना सुलझाया जाता है उससे ज्यादा ये उलझता जाता है /
काफी सोचा, पड़ा और फिर सोचा की आखिर सपने होते क्या है ! कुछ लोगो का कहना है की सपने वो है जिन्हे हम दिन भर सोचेत है और जो काम करते है वो नींद में सपने बनकर आ जाते है वही मशहूर मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड के अनुसार सपने हमारी वो अतृप्त इच्छाए है जिन्हे हम अपने जीवन में सोचते है या
करते है वो सपने बनकर आते है / सिगमंड फ्रायड ने मनुष्य के मष्तिष्क को बहूत गहरे से पडने की कोशिश की और सपनो पर आधारित उनकी किताब इंशपरेशन
आफ ड्रीम्स काफी लोक प्रिय हुई /
सभी ने कुल मिलाकर सपनो की जो व्याख्या की वो यही थी की दैनिक जीवन में किये जाने वाले वो कार्य जो हम सोचते जो मन में रखते है या जो कर चुके है नींद आने पर हमे सपने के रूप में दिखाई देते है / लेकिन अगर इन्हे सपने कहते है तो फिर वो क्या है जो नींद आने पर दिखाई देते है और ठीक वैसे ही भविष्य में घटित हो जाता है ! क्या इन्हे स्वप्न या सपने नहीं कहेंगे / या फिर बच्चे जन्म लेने के कुछ महीनो तक अपने आप ही हस्ता है और आपने आप हो रोने लगते है सोते सोते / जब की उस अवस्था में वो अपनी माँ को भी ठीक तरह से नहीं पहचान पाते है/ फिर उस छोटे से बच्चे की कौन सी अतृप्त इच्छा हो गई या फिर उसने दिन में कौन सा काम किया नहीं या कौन सा कार्य उसने सोचा / जबकि उसने ज्यादातर समय तो सोने में बिता दिया होता है / क्या ये भी स्वप्न है या कुछ और ?
सभी ने कुल मिलाकर सपनो की जो व्याख्या की वो यही थी की दैनिक जीवन में किये जाने वाले वो कार्य जो हम सोचते जो मन में रखते है या जो कर चुके है नींद आने पर हमे सपने के रूप में दिखाई देते है / लेकिन अगर इन्हे सपने कहते है तो फिर वो क्या है जो नींद आने पर दिखाई देते है और ठीक वैसे ही भविष्य में घटित हो जाता है ! क्या इन्हे स्वप्न या सपने नहीं कहेंगे / या फिर बच्चे जन्म लेने के कुछ महीनो तक अपने आप ही हस्ता है और आपने आप हो रोने लगते है सोते सोते / जब की उस अवस्था में वो अपनी माँ को भी ठीक तरह से नहीं पहचान पाते है/ फिर उस छोटे से बच्चे की कौन सी अतृप्त इच्छा हो गई या फिर उसने दिन में कौन सा काम किया नहीं या कौन सा कार्य उसने सोचा / जबकि उसने ज्यादातर समय तो सोने में बिता दिया होता है / क्या ये भी स्वप्न है या कुछ और ?
अगर वो चीजे हमे नींद आने के बाद आती है जिनकी बारे में हमने कभी न देखा न पड़ा और न ही सोचा और वो नींद आने के बाद आ रही है और
वैसा ही जीवन में घटित हो रहा है तो ये स्वप्न नहीं है क्या ये पूर्व आभास
है या फिर कुछ और अगर पूर्वाभास है तो ये कैसे संभव है / ये भी एक अबूझ पहेली है /इस बारे में हमने भी काफी सोचा कई लोगो से बात की और जिसके बाद कुछ तथ्य निकले जो
शायद सपनो की दुनिया से कुछ पर्दा हटा सके !
हमारे अनुसार सपने दो प्रकार के होते है या हम सभी ये जानते है की हमे दो प्रकार के सपने आते है
एक वो जो हम अपने दैनिक जीवन में जो कार्य या विचार लाते है वो नींद में स्वप्न बनकर आते है
और दुसरे वो जिन्हे
हम न सोचते है और नहीं करते है और किसी न किसी संकेत के रूप में सपने में आते है /
इस निष्कर्ष पर स्वप्न दो प्रकार के होते है
सांसारिक स्वप्न
और सांकेतिक स्वप्न
सांसारिक स्वप्न
वो स्वप्न होते है जो हमे नींद आने के डेड़ से दो घंटे बाद आते है और वो हमारे
विचारो और कार्यो की एक ऐसी टूटीं फूटी कहानी होती है जो कड़ी कड़ी जुड़ कर एक पूरी कहानी बन जाती है और हम स्वप्न में पत्रों को भी अपने अनुसार ही जोड़ लेते है /
सांकेतिक स्वप्न सांकेतिक स्वप्न वो स्वप्न होते है जो की हमे नींद आने के तीन
से चार घंटे के बाद आते है या फिर रात्रि के चौथे पहर में आते है जो हमे हमारे जीवन या हमारे आस पास घटित हनी
वाली घटनाओं के संकेत के रूप में आते है / सांकेतिक स्वप्न भी
प्रायः दो प्रकार के होते है
एक जिन्हे हम अपने परिवार या अपने जीवन में घटित होने
से पहले स्वप्न के रूप में देख लेते है /
दुसरे वो जिन्हे हम अपने जीवन में होने वाली शुभ अशुभ घटनाओ को भी स्वप्न के माध्यम से देख लेते है ऐसे स्वप्न व्यक्ति प्रायः भूल जाता है / जिन्हे पूर्वाभास भी कह सकते है/
दुसरे वो जिन्हे हम अपने जीवन में होने वाली शुभ अशुभ घटनाओ को भी स्वप्न के माध्यम से देख लेते है ऐसे स्वप्न व्यक्ति प्रायः भूल जाता है / जिन्हे पूर्वाभास भी कह सकते है/
इस संसार में आने के बाद एक बात तो निश्चित होती है की हम जो भी कर रहे है या जो भी करेंगे वो पहले से ही पूर्वनियोजित है ! हम सभी एक कहानी के पात्र के रूप में आते है और अपना कार्य कर के चले जाते है / अपना चरित्र कहानी से ख़त्म होने
के बाद जीवन के रंग मंच से चले जाते है किसी और कहनी में अभिनय करने के लिए /
इसका मतलब ये है की जब सब कुछ पूर्वनियोजित है तो वो विचार जो हमे आते है वो या तो घट चुके होते है या घटने वाले होते है / हम वर्तमान में होते है और भूत हमारे पीछे और भविष्य हमारे आगे खड़ा
होता है हम अपने जीवन में ज्यादा तर
भूत काल में किये गए कार्यो पर ही विचार या चिंतन करते है / जो हमे सांसारिक स्वप्न के रूप में आते है / और
जो भविष्य के लिए सोच बनाते रहते है वो सांकेतिक स्वप्न के रूप में सामने आती है /
अब ये ठीक वैसे ही हो सकता है की डाकिया किसी और का पत्र हमारे पते पर दे जाय और वो पत्र हम पड़
ले / मतलब किसी और के स्वप्नों की जो उर्जा तरंगो के रूप में
हम तक पहुच रहे है किसी और तक पहुचना था लेकिन उन्हे
हमने या हमरी उर्जा तरंगो ने अपनी
और आकर्षित कर लिया/ ऐसे संकेत्तिक स्वप्नों में हम येकहते
नज़र आते है की इसका तो मैने सोच ही नहीं था या इस जगह पर मैं कभी आया ही नहीं और वो हमे स्वप्न के रूप में आ जाते है / हम वही सोचते है वही बोलते है जो पहले से तय है या पहले हो चूका होता है या होने वाला होता है या हम कुछ
भी लिखते है तो वो भी पहले घट चूका होता है या घटित होने वाला होता है / हमे जो भी विचार इस संसार में आ रहे है उर्जा तरंगो के रूप
में और हम उसे कर रहे या लिख रहे है / या काफी बार हुआ है की कई लेखको ने कई कहानिया लिखी और भविष्य में घटित
हुई / क्या इन्हे भी हम सांकेतिक स्वप्न कह सकते है या खुली अखो से देखे गय स्वप्न /
अब बात करते है की स्वप्न के बारे में ही
.......
प्रत्येक मनुष्य जब भी सोता है तो सोने के डेड़
घंटे बाद तक हमारा मस्तिस्क पूरी तरह से सुप्त अवस्था
मेंचला जाता है यहाँ तक की हमारा शारीर भी /और इस दौरान ज्यादातर लोगो को कोई स्वप्न नहीं आते है / यदि आता भी है तो
याद नहीं रहता है / इसके बाद दिमाग की थकावट दूर होने के बाद दिन भर किये गए
कार्यो और विचारो को जिसे हमारे मस्तिष्क ने
ग्रहण किया होता है उन्हे व्यवस्थित तरीके
से एकत्रित करता है और और पूरे दिन भर के घटना क्रम को एक कहानी के रूप में जोड़ कर पत्रों का चयन करता है और फिर चालू होता है सपनो का रंगमंच / ऐसे
सपनो में कभी ऐसा भी होता है की जब मस्तिष्क
अपने अनुसार पत्रों का चयन
कर लेता है और जब हम सुबह उठते है तो आश्चर्य में पड़ जाते है की ये कैसे संभव हुआ / जैसे की स्कूल की प्रधानआचार्य को हम अपने घर में देखते और वो हमारे साथ हमारे
किसी ऐसे रिश्तेदार के घर में पहुच जाते जिनका
उसने कोई लेना देना ही नहीं होता है कभी कुछ और /
वैज्ञानिको ने नींद को कुछ इस प्रकार से समझाया है की जिसमे शरीर तो निष्क्रिय हो जाता है लेकिन आंखे गतिशील रहती है जिन्हें वैज्ञानिको ने R .E .M यानि रैपिड आई मोवमेंट / दुसरे प्रकार के सपने हमे ऐसी स्थित आते है जिनमे आँखों के साथ शारीर भी गति शील हो जाता है जिसमे कई बार व्यक्ति आँखों के साथ शारीर को भी चलाता है कभी बोलता भी है और कई बार नींद में चलने भी लगता है / जिसे एक प्रकार की बीमारी में कहते है,Sleepwalking disorder या (Somnambulism) / कई बार लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं कि नींद में चलते समय भी बच्चा हकीकत में गहरी नींद में ही होता है और उसे अपनी उस स्थिति का अहसास तक नहीं होता क्योंकि नींद में चलते वक्त भी उसकी आँखे खुली रहती हैं, लेकिन चेहरा पूरी तरह सोई हुई स्थित में रहता है। कई बार तो चलते चलते वो चीजों से टकरा कर घायल भी हो जाता है नींद में चलते वक्त इसे लोग अपने आस पास हो रही बातचीत या घटनाओ पर भी ध्यान नहीं दे पाते है / नींद के प्रारंभिक दो घंटो के मध्य ही नींद में चलने की घटनाएं सबसे आम होती है। नींद में चलने का समय 15 मिनट से लेकर दो घंटे तक का हो सकता है। इस अवस्था में बच्चा तैयार होकर घर से बाहर भी जा सकता है।
वैज्ञानिको ने नींद को कुछ इस प्रकार से समझाया है की जिसमे शरीर तो निष्क्रिय हो जाता है लेकिन आंखे गतिशील रहती है जिन्हें वैज्ञानिको ने R .E .M यानि रैपिड आई मोवमेंट / दुसरे प्रकार के सपने हमे ऐसी स्थित आते है जिनमे आँखों के साथ शारीर भी गति शील हो जाता है जिसमे कई बार व्यक्ति आँखों के साथ शारीर को भी चलाता है कभी बोलता भी है और कई बार नींद में चलने भी लगता है / जिसे एक प्रकार की बीमारी में कहते है,Sleepwalking disorder या (Somnambulism) / कई बार लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं कि नींद में चलते समय भी बच्चा हकीकत में गहरी नींद में ही होता है और उसे अपनी उस स्थिति का अहसास तक नहीं होता क्योंकि नींद में चलते वक्त भी उसकी आँखे खुली रहती हैं, लेकिन चेहरा पूरी तरह सोई हुई स्थित में रहता है। कई बार तो चलते चलते वो चीजों से टकरा कर घायल भी हो जाता है नींद में चलते वक्त इसे लोग अपने आस पास हो रही बातचीत या घटनाओ पर भी ध्यान नहीं दे पाते है / नींद के प्रारंभिक दो घंटो के मध्य ही नींद में चलने की घटनाएं सबसे आम होती है। नींद में चलने का समय 15 मिनट से लेकर दो घंटे तक का हो सकता है। इस अवस्था में बच्चा तैयार होकर घर से बाहर भी जा सकता है।
इन सब का कारण है की हमारा
शारीर एक Energy उर्जा से चल रह है तभी कुछ लोगो को कहते भी सुना जा सकता है की मेरे शारीर में अब
इतनी Energy उर्जा नहीं बची है की मैं चल सकू ,इस
Energy उर्जा को वैज्ञानिको ने भी शोध से पता लगाया है की अगर किसी जीवित व्यक्ति को शीशे के बॉक्स में बंद कर दिया जय और उसकी मृत्यु
के 30 सेकेंड्स के बाद वो शीशे का बॉक्स चटक जायेगा / यानि उस व्यक्ति के शरीर से निकली वो उर्जा ( आत्मा ) उस शीशे को भी तोड़ के पार निकल जाती है / ऐसी उर्जाओ
को अक्सर हम अपने आस पास महसूस कर सकते है जिन्हें हम भूत या आत्मा
कहते है /
खैर ये बात दूसरी ओर
की है अब वापस आते है की स्वप्न क्या है सपनो के बारे में हमारे प्राचीन काल के ग्रंथो भी लिखा गया है जिसमे स्वप्न विज्ञान से सम्बंथित रहस्यों
को बताया गया है / जिसमे प्रश्नोउप्निशद में श्लोक के माध्यम से समझाया गया है की सभी प्राणियो
को स्वप्न आते है फिर वो मनुष्य के अतरिक्त पशु हो पक्षी हो या कोई और / और ऐसा बताया गया है की ईश्वर
की और से आने वाली तरंगे ही स्वप्न होती है / इसे स्वप्न सांकेतिक होते है जो भविष्य में घटने वाली घटनाओ के बारे में बताते है /अक्सर 6 साल से 12 और कभी
14 साल कि उम्र तक के बच्चे छत से या उचाई से गिरने के , किसी के दौड़ने पर दौड़ न पाने के .एक दम आसहाय
से होने वाले स्वप्न देखते रहते है
/ ऐसे स्वप्न उन्हे इस लिए आते है की उन्हे एक अनजाना
सा भय रहता है या विचार होता है जिसे वो किसी से कह नहीं पाते
है जो नींद के आने पर ऐसे स्वप्न के रूप में सामने आता है /
अक्सर सीने पर हाथ रख कर सोने पर कही से भी गिरने या पैर फिसलने जैसे स्वप्न आते जो हमरे हृदय
पर बड़ रहे दबाव के संकेतक होते है जिसमे हम चौक से जाते है /
किसी सोते व्यक्ति के चेहरे पर यदि पानी की कुछ बूंदे डाली जाय तो उसे बारिश का या नहाने सम्बंधित स्वप्न आने लगते है /
किसी सोते व्यक्ति के चेहरे पर यदि पानी की कुछ बूंदे डाली जाय तो उसे बारिश का या नहाने सम्बंधित स्वप्न आने लगते है /
परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को अक्सर परीक्षा के छुट जाने के या फेल
हो जाने के स्वप्न आते है / किसी व्यक्ति के शरीर में किसी गर्म वस्तु को छुलाने
पर उसे आग के या आग से जलने के स्वप्न आने लगते है /
कभी हम दिन में भी सोते ही स्वप्नों के संसार में खो जाते है है कारन हमारा दिमाग और शरीर इतनी थकावट महसूस
ही नहीं कर रहा था और हम सपनो में खो जाते है / यदि हम रात्रि में ११ बजे सो जाय और सुबह
४ बजे उठे ऐसा वर्णन हमारे
धर्म ग्रंथो में भी है की सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठाना चैचाहिए / तो हमे स्वप्न
नहीं आयेंगे कारन हमारे शरीर और मष्तिष्क का पूरी तरह से सुप्तअवस्था में चला जाना और और जब वो सक्रिय होता है तब तक हम उठ जाते है इसी स्थित में सपने न के बराबर आते
है या फिर हम अक्सर भूल जाते है /
सपनो को ज्योतिषयो ने घटित घटनाओ के आधार पर विश्लेषण करके उनके अर्थ निकाले जिन्हे स्वप्न के शुभ और अशुभ विचार कहा जाता है /
जैसे की अगर रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गय सपने का शुभ और अशुभ फल एक साल के अंदर मिलता है /
रात्रि के दुसरे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल आठ महीने में /
रात्रि के तीसरे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल तीन महीने में /
रात्रि के चौथे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल एक महीने में / और भोर के समय देखे गय स्वप्न का फल एक माह में मिलने का विचार ज्योतिष विद्या करती है या ज्योतिषी करते है /
इन सब बातो से निष्कर्ष यही निकलता है की स्वप्न विज्ञान एक अबूझ पहेली है जिसको सुलझाने पर ये उलझती ही जाती है जिसको सालो से खोज जा रहा है और खो जा जाता रहेगा /
सपनो को ज्योतिषयो ने घटित घटनाओ के आधार पर विश्लेषण करके उनके अर्थ निकाले जिन्हे स्वप्न के शुभ और अशुभ विचार कहा जाता है /
जैसे की अगर रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गय सपने का शुभ और अशुभ फल एक साल के अंदर मिलता है /
रात्रि के दुसरे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल आठ महीने में /
रात्रि के तीसरे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल तीन महीने में /
रात्रि के चौथे प्रहर में देखे गय स्वप्न का शुभ और अशुभ फल एक महीने में / और भोर के समय देखे गय स्वप्न का फल एक माह में मिलने का विचार ज्योतिष विद्या करती है या ज्योतिषी करते है /
इन सब बातो से निष्कर्ष यही निकलता है की स्वप्न विज्ञान एक अबूझ पहेली है जिसको सुलझाने पर ये उलझती ही जाती है जिसको सालो से खोज जा रहा है और खो जा जाता रहेगा /
शिव बिना शरीर है ही नहीं
जय शिव ॐ